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    Nepal Protest: नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहता है Gen-Z? प्रधानमंत्री को लेकर भी साफ कर दी अपनी मंशा

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 10:21 PM (IST)

    नेपाल में वॉट्सऐप समेत 26 ऐप पर बैन के बाद प्रदर्शन हुए जिसके बाद सेना ने नियंत्रण संभाला। प्रदर्शनकारियों और दलों की बैठक में पूर्व न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने पर सहमति बनी। जेन-जी की ऑनलाइन बैठक में नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने संसद भंग करने और नए संविधान के गठन का प्रस्ताव पास हुआ। भ्रष्टाचार पर कार्रवाई और ईमानदार शासन की भी मांग उठी।

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    सेना के हाथ में नेपाल, जेन-जी का प्रस्ताव हिंदू राष्ट्र (पीटीआई)

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। वॉट्सऐप, फेसबुक सहित 26 ऐप पर प्रतिबंध के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शन और उपद्रव से सुलगे नेपाल की कानून व्यवस्था को सेना ने अपने नियंत्रण में ले लिया है। सेना की मध्यस्थता के बाद प्रदर्शनकारियों और राजनीतिक दलों की बैठक में अंतरिम सरकार के गठन पर सहमति बन गई है, जिसमें नेपाल की पूर्व एवं प्रथम महिला न्यायाधीश सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव आया है।

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    इसी बीच जेन-जी की ऑनलाइन बैठक में नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने के साथ कई प्रस्तावों को पास किया गया है। इसमें नेपाल की वर्तमान संसद का विघटन कर दो महीने में नए संविधान के गठन के साथ छह माह में संघीय संसद का चुनाव कराने का मुद्दा प्रमुख है।

    यह प्रस्ताव सेना अथवा अंतरिम सरकार के प्रतिनिधियों के पास पहुंचा है या नहीं, इसे लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए जाने के बाद एक गुट के बालेन शाह को प्रधानमंत्री बनाए जाने की मांग लेकर सेना मुख्यालय पर पहुंचने की सूचना है।

    इससे पूर्व तीसरे दिन बुधवार सुबह से जेल तोड़ने की घटनाओं के साथ नेपाल में सरकार के प्रतिनिधियों, निकायों के प्रमुखों के आवास और सरकारी संस्थानों में आगजनी की घटनाएं जारी रहीं, जिस पर दोपहर बाद नियंत्रण किया जा सका। इसके बाद नेपाल सेना ने अंतरिम सरकार के गठन के प्रस्ताव के साथ

    प्रदर्शनकारियों और राजनीतिक दलों के साथ बैठक की। इसमें सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए जाने की सहमति होने की चर्चा सामने आ रही है। इस बीच जेन–जी के 7800 सदस्यों की ऑनलाइन बैठक होने की चर्चा भी है। लगभग पांच घंटे तक चली इस बैठक में नेपाल के संसदीय व्यवस्था में बदलाव के साथ कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई और उसे प्रस्ताव के रूप में पास किया गया।

    बैठक में 92 प्रतिशत सदस्यों ने सुशीला कार्की या बालेन शाह को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव पास करने के साथ नए संविधान के गठन का प्रस्ताव पास किया गया। नए संविधान में नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाए जाने का प्रस्ताव प्रमुख रहा। सूत्रों के अनुसार, बैठक में शामिल सदस्यों ने कहा कि नेपाल की सांस्कृतिक विरासत हिंदू राष्ट्र से है, इसलिए यह जरूर होना चाहिए।

    इसके साथ ही जेन-जी सदस्यों ने संसद भवन में नरसंहार का आरोप लगाते हुए आदेश देने वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री, गृहमंत्री के साथ सभी जिम्मेदारों को तुरंत गिरफ्तार करने और उन पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। बैठक में भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा मानते हुए राजनीतिक ईमानदार शासन की परिकल्पना की भी व्यवस्था की बात हुई।

    कहा गया कि ईमानदार शासक से ही देश का विकास संभव है। जिन्होंने नेपाल की जनता के पैसे से अपनी तिजोरी भरी है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। इसके अंतर्गत पहले चरण में 46 साल से सार्वजनिक पद पर बैठे सभी लोगों की संपत्ति की जांच कराई जाए और उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई हो।

    इसके अलावा नेपाल में हुए सभी भ्रष्टाचार कांडों की स्वतंत्र और न्यायिक जांच कराकर कठोरतम कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई देश के खजाने पर कुदृष्टि न डाल सके।

    प्रांतीय संरचना समाप्त हो, चुनाव में जेन-जी पीढ़ी को शामिल करें

    बैठक में नई पीढ़ी को भी राजनीति में अवसर मिलने के मुद्दा प्रमुख रहा। चर्चा हुई की राजनीति में जेन-जी पीढ़ी को भी शामिल किया जाए। इसे प्रस्ताव के रूप में पास करते हुए कहा गया है कि छह माह में संघीय संसद का चुनाव संपन्न करा लिया जाए। साथ दो माह में नया संविधान जारी कर दिया जाए जिसमें नेपाल हिंदू राष्ट्र हो। प्रत्यक्ष निर्वाचित कार्यकारी प्रमुख की व्यवस्था की जाए।

    संविधान में इस प्रकार की व्यवस्था हो कि सांसदों को मंत्री न बनाया जाए। प्रांतीय संरचना पूरी तरह समाप्त कर केवल स्थानीय और संघीय व्यवस्था ही रहे। किसी भी व्यक्ति को दो कार्यकाल से अधिक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने की अनुमति न हो। राष्ट्रीय सभा और स्थानीय निकाय को गैर-दलीय बनाया जाए। इसके अलावा पत्रकार, चिकित्सक, शिक्षक, विद्यार्थी और कर्मचारियों के दलगत संगठन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का भी प्रस्ताव पास किया गया।

    दलगत नियुक्तियां तुरंत रद हों

    बैठक में रोजगार के मुद्दे पर भी युवा मुखर रहे। प्रस्ताव पास किया गया कि अख्तियार, न्यायालय सहित सभी संवैधानिक परिषदों में दलगत नियुक्ति को तत्काल रद कर मेरिट के आधार पर नियुक्तियां हों। आंदोलन के पीछे यह भी एक प्रमुख कारण रहा। युवाओं का आरोप था कि जिस दल का शासन होता है, वह अपने-अपने लोगों को सरकारी नौकरियां दे देते हैं और पात्र युवा बेरोजगार रह जाते हैं।