'गुलाम नहीं आज का युवा', नेपाल की हस्तियों ने सरकार को दी चेतावनी; कहा- 'जेन-जी की अनदेखी होगी खतरनाक'
नेपाल में युवाओं की समस्याओं को कम आंकने पर हस्तियों ने सरकार को चेतावनी दी है। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार और कुशासन के कारण युवाओं में निराशा है। डॉक्टरों और लेखकों का कहना है कि सरकार युवाओं के साथ तानाशाह जैसा व्यवहार न करे। विशेषज्ञों ने वर्तमान सरकार और सत्तारूढ़ दलों की आलोचना की है।

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। नेपाल की प्रमुख हस्तियों ने सरकार और राजनीतिक दलों को चेतावनी दी है कि वे युवाओं की परेशानियों को कम न समझें। जेन-जी की मांगों की अनदेखी करना खतरनाक साबित होगा। इन हस्तियों में लेखक, डॉक्टर, कलाकार, पूर्व नौकरशाह और अन्य लोग शामिल हैं।
उनका कहना है कि सोमवार की घटनाएं भ्रष्टाचार, कुशासन, सत्ता के दुरुपयोग और सरकारों व राजनीतिक पार्टियों के लगातार अहंकार से युवाओं में इकट्ठा हुई निराशा का नतीजा है।
'गुलाम नहीं आज के युवा'
'काठमांडू पोस्ट' से मेडिकल इंस्टीट्यूट के पूर्व डीन डॉ. अरुण सायमी ने कहा, 'नेता सोचते हैं कि अगर संसद में उनका बहुमत है तो वे कुछ भी कर सकते हैं। आज के युवा उनके गुलाम नहीं हैं। ज्ञानेंद्र शाह (जिन्हें 2008 में सत्ता से हटा दिया गया था) की तरह बर्ताव करना बंद करें और तुरंत इंटरनेट मीडिया पर से प्रतिबंध हटा दें।'
'सत्ताधारी दलों को दिखाया असली चेहरा'
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डा. अरुणा उप्रेती ने कहा, 'आज की घटना ने मुझे राजा ज्ञानेंद्र के शासन के आखिरी दिनों की याद दिला दी, जब उन्होंने बिना सोचे-समझे बल प्रयोग किया था।'
उन्होंने कहा, 'वर्तमान सरकार, सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल ने अहंकार दिखाया और देश के भविष्य युवाओं के खिलाफ जबरदस्त बल प्रयोग किया।' लेखक खगेंद्र संग्रौला ने कहा कि इन घटनाओं ने सत्तारूढ़ पार्टियों का असली चेहरा दिखाया है।
उन्होंने कहा, 'केवल पुष्प कमल दहाल (पूर्व प्रधानमंत्री), आरएसपी और काठमांडू के मेयर बलेंद्र शाह ही युवाओं को नहीं भड़का रहे थे; बल्कि दुर्गा प्रसाद, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और अन्य राजशाही समर्थक भी मौके का इस्तेमाल कर रहे थे।'
'देश में रहना मुश्किल हो गया'
इंस्ट्रक्टर पायलट विजय लामा ने कहा, 'आज के युवा हमारे समय के युवाओं से ज्यादा स्मार्ट, पढ़े-लिखे और अपडेटेड हैं। वे हमारे देश का भविष्य हैं। सरकार को युवाओं के खिलाफ बल प्रयोग नहीं करना चाहिए।'
पूर्व सचिव किशोर थापा ने कहा, 'अगर कोई किसी राजनीतिक पार्टी का सदस्य नहीं है तो देश में रहना मुश्किल हो गया है। सरकार के खिलाफ गुस्सा सिर्फ युवाओं तक सीमित नहीं है। यह बुजुर्गों और पेशेवरों में भी है।'
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।