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    New Labour Code: सप्ताह में 48 घंटे काम, ओवरटाइम और छुट्टियां... नए लेबर कोड में कर्मचारियों को मिलेंगे क्या-क्या फायदे?

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    नए लेबर कोड में श्रमिक सुरक्षा को मजबूत करने और अनुपालन को सरल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। कर्मचारियों के लिए, यह टेक-होम वेतन को प्रभावित कर ...और पढ़ें

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    नए लेबर कोड में कर्मचारियों को फायदा ही फायदा।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले सप्ताह अधिसूचित किए गए नए लेबर कोड को दशकों बाद श्रम कानूनों में सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

    29 अलग- अलग कानूनों को चार कोड में समाहित करके सरकार ने श्रमिक सुरक्षा मजबूत करने, अनुपालन को सरल बनाने और उद्योगों को अधिक लचीलापन देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। नए कोड कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के लिए कई अहम बदलाव लाते हैं।

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    कर्मचारियों पर प्रभाव

    • टेक-होम वेतन- 'वेज' की नई परिभाषा के तहत एलाउंस 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकेंगे।
    • बेसिक पे बढ़ेगा, जिससे पीएफ व ग्रेच्युटी योगदान स्वत: बढ़ जाएगा।
    • टेक-होम वेतन में थोड़ी कमी संभव, लेकिन रिटायरमेंट लाभों में बड़ा इजाफा होगा।
    • विशेषज्ञों के अनुसार इससे कर्मचारी और नियोक्ता- दोनों पर अनुपालन बोझ बढ़ेगा।

    नियोक्ताओं पर असर

    • पीएफ और ग्रैच्युटी में नियोक्ता पक्ष का योगदान बढ़ेगा।
    • बड़े पैमाने पर सीटीसी (कास्ट टु कंपनी) ढांचे का पुनर्गठन करना पड़ेगा।
    • वेजेज की नई परिभाषा (सकल वेतन का 50 प्रतिशत बेसिक) 21 नवम्बर 2025 से लागू।
    • सामाजिक सुरक्षा योगदान की गणना अब नए बेसिक वेतन पर होगी।नौकरी की सुरक्षा
    • फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों जैसी वैधानिक सुविधाएं- ग्रेच्युटी सहित (निर्धारित अवधि पूरी होने पर)।
    • विवाद निपटान तंत्र स्पष्ट होने से मनमाने कदमों पर रोक और रोजगार सुरक्षा में सुधार की उम्मीद।

    नियोक्ताओं के लिए

    • फिक्स्ड-टर्म कान्ट्रैक्ट पर नियुक्ति में आसानी, दीर्घकालिक देनदारियों से राहत।
    • छंटनी/बंदी के लिए सीमा 300 कर्मचारियों तक बढ़ाई गई। इससे मानव संसाधन योजना में लचीलापन।

    कार्य अवधि

    • साप्ताहिक 48 घंटे की मानकीकृत सीमा लागू।
    • ओवरटाइम, छुट्टियों और ब्रेक संबंधी नियम अधिक स्पष्ट और पालन योग्य।
    • कार्यस्थल सुरक्षा व कल्याण मानक सख्त
    • बेहतर वर्किंग कंडीशंस की दिशा में कदम।

    सामाजिक सुरक्षा

    • गिग, प्लेटफार्म और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को पहली बार औपचारिक पहचान।
    • ईपीएफ, ईएसआई, मातृत्व लाभ, चोट मुआवजा सहित कई योजनाओं की पहुंच बढ़ी।
    • डिजिटल रजिस्ट्रेशन से लाभ लेने की प्रक्रिया सरल।
    • प्लेटफार्म कंपनियों को गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा फंड में योगदान देना पड़ सकता है।

    अनुपालन

    • कर्मचारियों के लिए अधिकार और लाभ स्पष्ट और ट्रैक करना आसान।
    • कंपनियों के लिए रजिस्टरों और रिटर्न की संख्या कम- अनुपालन सरल।
    • वेतन को दर्जनों भत्तों में बांटकर पीएफ/ईएसआइ देनदारी कम करने की प्रथा पर लगाम।

    ईपीएस

    95 में नियोक्ता अब भी 15,000 रुपये वेतन सीमा पर 8.33 प्रतिशत योगदान करेंगे; शेष हिस्सा ईपीएफ में जाएगा- कर्मचारियों का पीएफ लाभ बढ़ेगा।

    स्वास्थ्य जांच नियम

    सभी कर्मचारियों के लिए वार्षिक स्वास्थ्य जांच अनिवार्य, विशेषकर 40 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए- नए कोड का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान।

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