New Labour Codes: नए श्रम कानून पर लगभग सभी राज्यों के मसौदे तैयार, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कब लागू होगा नया नियम
New Labour Codes केंद्र सरकार ने सभी चार संहिताओं के लिए मसौदा नियमों को पहले ही प्रकाशित कर दिया है। चूंकि श्रम संविधान की समवर्ती सूची का हिस्सा है इसलिए राज्यों को भी अपनी ओर से इस संबंध में नियम बनाने होंगे।

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को कहा कि लगभग सभी राज्यों ने चार श्रम संहिताओं पर नियमों का मसौदा तैयार कर लिया है और नए नियमों को उचित समय पर लागू किया जाएगा। ऐसी अटकलें थीं कि श्रम संहिताएं जल्द लागू की जा सकती हैं, क्योंकि ज्यादातर राज्यों ने मसौदा नियम बना लिए हैं।
एक बातचीत में भूपेंद्र यादव ने कहा कि लगभग सभी राज्यों ने चार श्रम संहिताओं पर मसौदा नियम तैयार कर लिए हैं। हम इन संहिताओं को उचित समय पर लागू करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राज्य मसौदा नियमों पर अभी काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि राजस्थान ने दो संहिताओं पर मसौदा नियम तैयार कर लिए जबकि दो पर तैयार किया जाना बाकी है। बंगाल में इन्हें अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है जबकि मेघालय समेत पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों ने चारों संहिताओं पर मसौदा नियम तैयार करने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं की है।
वर्ष 2019 और 2020 में, 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में मिलाया गया था और इन्हें तर्कसंगत और सरल बनाया गया था। केंद्र सरकार ने सभी चार संहिताओं के लिए मसौदा नियमों को पहले ही प्रकाशित कर दिया है। चूंकि श्रम संविधान की समवर्ती सूची का हिस्सा है, इसलिए राज्यों को भी अपनी ओर से इस संबंध में नियम बनाने होंगे। नए श्रम कानून बदलते बाजार के अनुरूप हैं। साथ ही इसमें स्वरोजगार और प्रवासी श्रमिकों सहित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी का भी ध्यान रखा गया है।
4 कोड में बंटा है कानून
भारत में 29 सेंट्रल लेबर कानून को 4 कोड में बांटा गया है। कोड के नियमों में वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध व्यवसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य औक काम करने की स्थिति आदि जैसे 4 कोड शामिल है। अभी तक 23 राज्यों ने इन ड्राफ्ट कानूनों को तैयार कर लिया है। संसद द्वारा इन चार संहिताओं को पारित किया जा चुका है, लेकिन केंद्र के अलावा राज्य सरकारों को भी इन संहिताओं, नियमों को अधिसूचित करना जरूरी है। उसके बाद ही ये नियम राज्यों में लागू हो पाएंगे। ये नियम बीते साल 1 अप्रैल 2021 से लागू होने थे लेकिन राज्यों की तैयारी पूरी नहीं होने के कारण इन्हें टाल दिया गया था।

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