नीति आयोग ने सरकार के सामने रखा असंगठित कार्यबल की तकनीकी व वित्तीय क्षमता बढ़ाने का रोडमैप
नीति आयोग ने सरकार को असंगठित कार्यबल की तकनीकी और वित्तीय क्षमता बढ़ाने के लिए एक रोडमैप पेश किया है। लक्ष्य 2047 तक प्रति व्यक्ति आय और उत्पादकता बढ़ाना है। 'डिजिटल श्रमसेतु' मिशन के तहत, AI जैसी तकनीकों का उपयोग करके 49 करोड़ कामगारों को सशक्त बनाने की योजना है। वित्तीय सुरक्षा और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिससे यह क्षेत्र भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सके।

2047 तक आय और उत्पादकता बढ़ाने का लक्ष्य
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के दौर में लगातार चर्चा है कि पेशेवरों को कितना नुकसान होगा और कितना लाभ। इस बीच नीति आयोग की नजर उस असंगठित क्षेत्र पर गई है, जिसकी कुल कार्यबल में 90 प्रतिशत की हिस्सेदारी है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 50 प्रतिशत का सहयोग है।
आयोग के विशेषज्ञों का मत है कि एआइ सहित अन्य तकनीकी सहयोग इस क्षेत्र को दिया जाए तो असंगठित क्षेत्र के यह करीब 49 करोड़ कामगार विकसित भारत के लिए आर्थिकी की रीढ़ बन ग्रोथ इंजन साबित हो सकते हैं। डिजिटल श्रमसेतु के नाम से राष्ट्रीय मिशन के प्रस्ताव के साथ आयोग ने केंद्र सरकार को रोडमैप भी सौंपा है, जिसमें क्षमता वृद्धि के लिए वर्ष 2035 को एक महत्वपूर्ण पड़ाव या मील के पत्थर के रूप में चिन्हित किया गया है।
एआइ फार इन्क्लूसिव सोसाइटल डेवलपमेंट नाम से बनाए गए रोडमैप में नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने स्पष्ट तौर पर अपना मत दिया है कि निर्माण, कपड़ा, खाद्य सेवाओं, देखभाल और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में अपनी बड़ी भूमिका के बावजूद असंगठित क्षेत्र के श्रमिक कम उत्पादकता वाले असुरक्षित वातावरण में काम कर रहे हैं। एआइ और अन्य तकनीकें भारत के असंगठित व्यापार कार्यबल की क्षमता को अच्छी तरह सामने ला सकती हैं और उन्हें विकसित भारत की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में बदल सकती हैं, बशर्ते इन्हें सोच-समझकर और समावेशी तरीके से लागू किया जाए।
आयोग ने असंगठित क्षेत्र के संदर्भ में पांच मुख्य चुनौतियों की पहचान की है। इनमें वित्तीय असुरक्षा, सीमित बाजार पहुंच, कौशल की कमी, अपर्याप्त सामाजिक सुरक्षा और इनकी कम उत्पादकता है। यह चुनौतियां इस क्षेत्र को अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने से रोक रही हैं। रोडमैप में चर्चा की गई है कि कैसे एआइ, इंटरनेट आफ ¨थग्स, ब्लाकचेन, रोबोटिक्स और इमर्जिव लर्निंग जैसी तकनीक का उपयोग भारत के असंगठित क्षेत्र के कार्यबल के सामने आने वाली बाधाओं को दूर कर सकता है।
श्रमिक-केंद्रित डाटा सुरक्षा लागू करने जैसे कदम सुझाव
इस दृष्कोटिकोण साकार करने के लिए नीति आयोग द्वारा सरकार को रोडमैप में डिजिटल श्रमसेतु नामक एक राष्ट्रीय मिशन का प्रस्ताव दिया है। इस मिशन में सरकार, उद्योग और समाज के हितधारकों को संगठित करने पर बल दिया गया है। इस पर अमल के लिए बकायदा चार्टर बनाने, एक अलग नोडल निकाय बनाने, मेक इन इंडिया के तहत उपकरणों के स्थानीय अनुसंधान, विकास और निर्माण को बढ़ावा देने और डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम के तहत श्रमिक-केंद्रित डाटा सुरक्षा लागू करने जैसे कदम सुझाव हैं।
साथ ही कहा है कि राज्यों को भी असंगठित क्षेत्र के व्यवसायों के लिए मिशन मोड पर कार्यक्रम शुरू करने होंगे। वहीं, इस मिशन के लिए शीर्ष स्तर पर एग्जीक्यूटिव बाडी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा किए जाने का प्रस्ताव है, जिसमें प्रमुख मंत्रालयों, विभागों और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, कौशल विकास मंत्रालय और उद्यमिता आदि के हितधारकों का प्रतिनिधित्व हो।
क्षमता वृद्धि के लिए आयोग ने तय किए लक्ष्य बिंदु
वर्तमान स्थिति- 2035 का लक्ष्य- 2047 का लक्ष्यप्रति व्यक्ति आय- 159545 रुपये- 487467 रुपये- 1285243 रुपयेमहिला भागीदारी- 15 प्रतिशत- 25 प्रतिशत- 42 प्रतिशतसामाजिक सुरक्षा कवरेज- 48 प्रतिशत- 80 प्रतिशत- 100 प्रतिशतउत्पादकता- 443.19 रुपये प्रति घंटा- 1329.56 रुपये प्रति घंटा- 4343.24 रुपये प्रति घंटा
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