रक्षा क्षेत्र में बढ़ रही MSME की भागीदारी, मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस में 200 प्रतिशत का हुआ इजाफा
रक्षा क्षेत्र से जुड़े अधिक से अधिक आइटम को सरकार घरेलू स्तर पर बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और इसका फायदा सबसे अधिक एमएसएमई को मिलता दिख रहा है। सरकारी खरीद-बिक्री के लिए बनाए गए पोर्टल जेम (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) पर अब तक रक्षा क्षेत्र ने एक लाख करोड़ रुपए की खरीदारी की है और उनमें 50 प्रतिशत से अधिक आर्डर एमएसएमई को दिए गए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रक्षा क्षेत्र से जुड़े अधिक से अधिक आइटम को सरकार घरेलू स्तर पर बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और इसका फायदा सबसे अधिक एमएसएमई को मिलता दिख रहा है। सरकारी खरीद-बिक्री के लिए बनाए गए पोर्टल जेम (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) पर अब तक रक्षा क्षेत्र ने एक लाख करोड़ रुपए की खरीदारी की है और उनमें 50 प्रतिशत से अधिक आर्डर एमएसएमई को दिए गए।
चालू वित्त वर्ष 2023-24 में ही जेम पोर्टल से रक्षा मंत्रालय ने 45,000 करोड़ से अधिक की खरीदारी की है। जेम पोर्टल से रक्षा मंत्रालय इन दिनों अंडे से लेकर मिसाइल सिस्टम से जुड़े आइटम तक की खरीदारी कर रहा है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने रक्षा क्षेत्र से जुड़े 900 से अधिक आइटम के आयात पर अगले पांच साल में पूरी तरह से रोक लगाने का फैसला किया है, ताकि ये सभी आइटम घरेलू स्तर पर बन सके।
रक्षा क्षेत्र से जुड़े मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस में 200 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। रक्षा क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले हेलीकॉप्टर के काकपिट डिस्प्ले का निर्माण करने वाली सेमटेल एविओनिक्स लिमिटेड के एमडी व सीईओ पुनीत कौरा ने बताया कि उनकी कंपनी स्माल श्रेणी की है।
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पहले सरकार काकपिट डिस्प्ले का आयात इजरायल व अन्य यूरोपीय देशों से करती थी, जिस पर अब रोक लगा दी गई है और इस कारण ही हमारी जैसी छोटी कंपनियों को निर्माण करने का मौका मिला है। घरेलू स्तर पर निर्माण से उत्पाद की कीमत भी कम होती है और उनका रखरखाव भी आसान हो जाता है।
पहले सरकार काकपिट डिस्प्ले का आयात इजरायल व अन्य यूरोपीय देशों से करती थी, जिस पर अब रोक लगा दी गई है और इस कारण ही हमारी जैसी छोटी कंपनियों को निर्माण करने का मौका मिला है। घरेलू स्तर पर निर्माण से उत्पाद की कीमत भी कम होती है और उनका रखरखाव भी आसान हो जाता है।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक रक्षा विभाग एमएसएमई के साथ लंबे समय के लिए (10 साल) अनुबंध कर रहे हैं। पहले इस प्रकार के अनुबंध नहीं किए जाते थे। घरेलू स्तर पर निर्माण का मौका मिलने के साथ रक्षा क्षेत्र के एमएसएमई के निर्यात में भी बढ़ोतरी हो रही है।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा क्षेत्र के आइटम का 20,000 करोड़ से अधिक का निर्यात किया जा चुका है और यह निर्यात इस वित्त वर्ष में 24,000 करोड़ तक जा सकता है। पिछले वित्त वर्ष में 16,000 करोड़ का निर्यात किया गया था।यह भी पढ़ें: सेना-नौसेना महिलाओं को स्थायी कमीशन दे रही हैं तो तटरक्षक बल क्यों नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुनाई खरी-खरी