पतंजलि सामाजिक पहलों से ग्रामीण भारत को कर रहा सशक्त, लाखों लोगों की जिंदगी में हो रहा बदलाव
पतंजलि आयुर्वेद बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य शिक्षा रोजगार जैविक खेती और महिला सशक्तिकरण के माध्यम से बदलाव ला रहा है। यह ग्रामीण रोजगार और कौशल विकास को बढ़ावा दे रहा है और जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रहा है। इसके अतिरिक्त पतंजलि देशभर में आरोग्य केंद्र और चिकित्सालयों के माध्यम से सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है।

डिजिटल डेस्क, हरिद्वार। पिछले लगभग 2 दशकों में पतंजलि आयुर्वेद सिर्फ एक हेल्थ और वैलनेस ब्रांड ही नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में बदलाव का एक सशक्त माध्यम बनकर सामने आया है। साल 2006 में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में बनाये गए पतंजलि ने स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, जैविक खेती और महिलाओं के सशक्तिकरण जैसे कई क्षेत्रों में ग्रामीण भारत की दिशा बदलने का काम किया है। यूं तो यह एक आयुर्वेदिक ब्रांड है लेकिन इन्होंने भारत देश के विकास के लिए कई महत्त्वपूर्ण काम किये हैं जिससे न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण विकास को भी नयी दिशा मिली है। आइये जानते हैं कैसे पतंजलि अपनी सामाजिक पहलों से ग्रामीण भारत को सशक्त बना, लाखों जिंदगियां बदल रहा है।
ग्रामीण रोजगार और कौशल विकास
International Journal of Multidisciplinary Research and Development में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, पतंजलि ने साल 2017 तक 2 लाख से ज्यादा लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया है, जिनमें से अधिकतर लोग ग्रामीण इलाकों से हैं। पतंजलि के हरिद्वार, नागपुर और असम के प्लांट्स में स्थानीय लोगों को ट्रेनिंग और नौकरी दी जाती है, जिससे न सिर्फ उनका कौशल विकास होता है बल्कि उन्हें नौकरी की तलाश में शहरों का रुख भी नहीं करना पड़ता। वह अपने घर और परिवार के पास रहकर ही एक अच्छी आय कमा सकते हैं।
महिला सशक्तिकरण के लिए खेती में योगदान
पतंजलि महिला सशक्तिकरण को लेकर बेहद सजग है। यहां महिलाओं को शिक्षा और रोज़गार के बराबर अवसर देने पर ज़ोर दिया जाता है। पतंजलि ने कई राज्यों जैसे उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में वहां की ग्रामीण महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाए हैं जिसमें उन्हें तुलसी, गिलोय और एलोवेरा जैसी औषधीय फसलें उगाने की ट्रेनिंग दी जाती है। जैविक खेती के साथ ही महिलाओं को बीज भी मुहैया कराये जाते हैं साथ ही खेती की नवीनतम तकनीक की ट्रेनिंग भी दी जाती है। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और समाज में उनकी बराबर भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए पतंजलि उनके द्वारा उगाई गई फसलों की खरीद की गारंटी भी देता है।
जैविक और पारंपरिक खेती को बढ़ावा
पतंजलि आयुर्वेद का उद्देश्य है कि देश में ज्यादा से ज्यादा किसान आर्गेनिक फार्मिंग को अपनाएं जिससे न सिर्फ उनकी फसल अच्छी होगी बल्कि सबके स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होगी। पतंजलि बायो-रिसर्च इंस्टिट्यूट के माध्यम से किसानों को रसायन-मुक्त खेती के लिए प्रेरित करता है। अब तक कई हज़ार हेक्टेयर भूमि पर पतंजलि की सहायता से ऑर्गेनिक खेती की जा रही है जो न सिर्फ हमारे पर्यावरण की रक्षा करती है, बल्कि किसानों की आमदनी भी बढ़ा रही है।
स्वास्थ्य सेवाओं की आसान पहुंच
पतंजलि आयुर्वेद का नारा है- 'प्रकृति का आशीर्वाद', जो ब्रांड की सोच और कार्यशैली को दर्शाता है। ग्रामीण भारत को सशक्त और स्वस्थ बनाने के लिए पतंजलि ने देशभर में आरोग्य केंद्र और चिकित्सालय खोले हैं, जहां ग्रामीणों को बहुत कम कीमत में या मुफ्त में आयुर्वेदिक उपचार और दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं। Journal of Traditional and Complementary Medicine में प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, पतंजलि की इस पहल से देश के ग्रामीण इलाकों में लोग समय रहते बीमारी की पहचान कर इलाज करवा पा रहे हैं। इससे न सिर्फ उनके लिए इलाज सस्ता हुआ है, बल्कि शहर के महंगे हॉस्पिटल में बार-बार लगने वाले चक्करों से भी निजात मिली है ।
पतंजलि की सामाजिक पहलें केवल CSR तक सीमित नहीं, बल्कि यह देश में बदलाव लाने का एक मिशन है। इससे गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता के नए रास्ते खुले हैं, जो भारत को अंदर से मजबूत बनाने के लिए सराहनीय पहल है।
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