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    2024 तक आए प्रताड़ित हिंदुओं, सिखों, जैनियों को भारत में रहने की अनुमति, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जारी किया बयान

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Tue, 02 Sep 2025 11:58 PM (IST)

    केंद्रीय गृह मंत्रालय का कहना है कि 31 दिसंबर 2024 तक पड़ोसी देश अफगानिस्तान बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए अल्पसंख्यक समुदाय जैसे हिंदू सिख बौद्ध जैन पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को बिना पासपोर्ट या अन्य दस्तावेजों के भारत में रहने की अनुमति दी जाएगी जिनका उनके देशों में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बयान जारी किया है।

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    2024 तक आए प्रताड़ित हिंदुओं, सिखों, जैनियों को भारत में रहने की अनुमति- केंद्रीय गृह मंत्रालय

     पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय का कहना है कि 31 दिसंबर, 2024 तक पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए अल्पसंख्यक समुदाय जैसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को बिना पासपोर्ट या अन्य दस्तावेजों के भारत में रहने की अनुमति दी जाएगी, जिनका उनके देशों में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न किया गया है।

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    अल्पसंख्यक विदेशी लोगों मिलेगी राहत

    इस महत्वपूर्ण आदेश पाकिस्तान से आए हिंदुओं सहित बड़ी संख्या में तीन इस्लामी देशों के अल्पसंख्यक विदेशी लोगों के लिए राहत का कारण बनेगा, जो 2014 के बाद भारत में आए थे और अपनी किस्मत को लेकर चिंतित थे।

    न देशों के अल्पसंख्यकों को भी भारत में रहने की फिलहाल छूट

    उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष लागू हुए देश के नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के अनुसार, 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए इन तीन देशों के प्रताडि़त अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। लेकिन अब गृह मंत्रालय के नए फैसले से दस साल बाद तक आए इन देशों के अल्पसंख्यकों को भी भारत में रहने की फिलहाल छूट दी गई है।

    गृह मंत्रालय ने जारी किया आदेश

    गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार, ''अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) जो धार्मिक उत्पीड़न या धार्मिक उत्पीड़न के डर के कारण भारत में शरण लेने के लिए मजबूर हुआ और 31 दिसंबर, 2024 तक बिना वैध दस्तावेजों, जिसमें पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज शामिल हैं, या वैध दस्तावेजों के साथ, जिसमें पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज शामिल हैं, और ऐसे दस्तावेजों की वैधता समाप्त हो गई है, उन्हें वैध पासपोर्ट और वीजा रखने के नियम से छूट दी जाएगी।''

    'नेपाल और भूटान के नागरिकों को पासपोर्ट की जरूरत नहीं'

    नेपाल और भूटान के नागरिकों के साथ-साथ इन दो पड़ोसी देशों से भारत में भूमि या वायु मार्ग से प्रवेश करने वाले भारतीय नागरिकों को पहले की तरह पासपोर्ट या वीजा प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी।

    गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार भारत के नौसेना, सेना या वायु सेना के सदस्य जो ड्यूटी पर भारत में प्रवेश या बाहर जा रहे हैं और ऐसे व्यक्ति के परिवार के सदस्य, जब किसी सरकारी परिवहन के साथ ऐसे व्यक्ति के साथ होते हैं, उन्हें भी पासपोर्ट या वीजा ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी।

    मंत्रालय ने कहा कि ''यदि कोई भारतीय नागरिक नेपाल या भूटान की सीमा से भूमि या वायु मार्ग से भारत में प्रवेश करता है, या नेपाल या भूटान की सीमा से भूमि या वायु मार्ग से भारत में प्रवेश करने वाला कोई नागरिक है, या यदि वह नेपाल या भूटान के अलावा किसी अन्य स्थान से भारत में प्रवेश या बाहर जाते समय एक वैध पासपोर्ट रखता है, लेकिन चीन, मकाऊ, हांगकांग या पाकिस्तान से नहीं,'' तो भारत में प्रवेश, ठहराव और निकासी के लिए वैध पासपोर्ट या अन्य वैध यात्रा दस्तावेजों और वैध वीजा की आवश्यकता लागू नहीं होगी।

    श्रीलंकाई तमिल नागरिकों पर भी लागू नहीं होगा यह नियम

    यह प्रावधान उन तिब्बतियों पर भी लागू होता है जो पहले से भारत में प्रवेश कर चुके हैं और देश में रह रहे हैं। यह नियम उन पंजीकृत श्रीलंकाई तमिल नागरिकों पर भी लागू नहीं होगा जिन्होंने 9 जनवरी, 2015 तक भारत में शरण ली थी।

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