लोन मोरेटोरियम के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका, ईएमआइ भरने में विफल रहने वालों के लिए की गई यह मांग
कई सेक्टर और वर्ग के कारोबारों पर कोरोना की दूसरी लहर के गंभीर असर को देखते हुए उन्हें कर्ज भुगतान में राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। जानें याचिका में क्या लगाई गई है गुहार...

नई दिल्ली, जेएनएन। कई सेक्टर और वर्ग के कारोबारों पर कोरोना की दूसरी लहर के गंभीर असर को देखते हुए उन्हें कर्ज भुगतान में राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में कहा गया है कि कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप कम करने के लिए कई राज्यों में लगाए गए लॉकडाउन से लोगों और कारोबारियों को गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
याचिका में ऐसे लोगों को इस वर्ष जून से अगस्त तक कर्ज भुगतान से छूट या मोरेटोरियम दिए जाने की मांग की गई है। इसके साथ ही याचिका में अप्रैल से अगस्त तक कर्ज की किस्त चुकाने में विफल रहने वालों के लोन खातों को फंसा कर्ज (एनपीए) घोषित नहीं करने की भी मांग रखी गई है।
गैर-सरकारी संगठन डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) को प्रतिवादी बनाते हुए याचिका में कहा कि आर्थिक दिक्कतों और महामारी की तीसरी लहर की आशंकाओ को देखते हुए राहत पैकेज पर भी विचार किया जाए। यह कोई छुपी बात नहीं है कि कोरोना महामारी में मध्यम वर्ग ही आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।
एक अध्यन रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल महामारी के कारण करीब 3.2 करोड़ नए लोग गरीबों की श्रेणी में आ गए। दूसरी लहर में बहुत लोगों की नौकरियां गई हैं और बहुत से अन्य पेशेवरों के वेतन में बड़ी कटौती हुई है। याचिका मे कहा गया है कि पिछले वर्ष स्थिति इतनी स्थिति खराब नहीं थी, फिर भी कर्ज लेने वालों को लोन की अदायगी पर मोरेटोरियम दिया गया था। इस बार दूसरी लहर में स्थिति उससे अधिक भयावह है, ऐसे में बड़े वर्ग को कर्ज चुकाने में राहत मिलने का इंतजार है।
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