'2035 तक पानी है मैकाले की गुलामी की मानसिकता से मुक्ति', पीएम मोदी ने भरी हुंकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैकाले की गुलामी की मानसिकता से 2035 तक मुक्ति पाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नष्ट कर दिया था। मोदी ने कांग्रेस पर माओवाद को बढ़ावा देने और अपनी विरासत को दुत्कारने का आरोप लगाया। उन्होंने बिहार में राजद के 'जंगलराज' की भी आलोचना की और विकास पर जोर दिया।

पीएम ने कहा कि मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था का समूल नाश कर दिया (फोटो: एएनआई)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्वच्छता से लेकर आत्मनिर्भर भारत तक देशवासियों को अब तक कई राष्ट्रव्यापी संकल्पों से जोड़ चुके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अब एक और संकल्प राष्ट्र के सामने रखा है। उन्होंने कहा है कि 1835 में ब्रिटिश सांसद मैकाले ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के लिए बहुत बड़ा अभियान शुरू किया था।
इसने भारतीय शिक्षा व्यवस्था का समूल नाश कर दिया। अगले दस साल में हमें यह संकल्प लेकर चलना है कि मैकाले ने भारत को जिस गुलामी की मानसिकता से भर दिया है, उस सोच से मुक्ति पाकर रहेंगे। उन्होंने आह्वान किया कि 1835 से शुरू हुई इस यात्रा को 2035 तक खत्म करना है।छठे रामनाथ गोयनका व्याख्यान को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि 1835 में ब्रिटिश सांसद मैकाले ने एलान किया था कि मैं ऐसे भारतीय बनाऊंगा, जो दिखने में तो भारतीय होंगे लेकिन मन से अंग्रेज होंगे।
'मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था का समूल नाश कर दिया'
इसके लिए मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था का समूल नाश कर दिया। उसका खामियाजा भारत ने आने वाली सदियों में उठाया। मैकाले ने हमारे आत्मविश्वास को तोड़कर हमारे भीतर हीन भावना का संचार किया। उन्होंने कहा कि वहीं पर वह बीज पड़े कि यदि भारतीयों को आगे बढ़ना है तो विदेशी तौर-तरीके अपनाने पड़ेंगे।
बिना किसी का नाम लिए पीएम ने परोक्ष रूप से पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों पर आरोप लगाया और कहा कि यह भाव आजादी मिलने के बाद और पुख्ता हुआ। अपने पर गौरव करने का भाव कम होता गया। गांधी जी ने जिस स्वदेशी को आधार बनाया था, उसे पूछने वाला कोई नहीं रहा। भारत में आजादी के बाद अपनी ही विरासत को दुत्कारने के प्रयास हुए हैं। पीएम ने कहा कि यही कारण है कि हमने नेशनल एजुकेशन पालिसी में स्थानीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दिया है।
कांग्रेस पर साधा निशाना
उन्होंने कहा कि बीते पांच दशकों तक देश का करीब-करीब हर बड़ा राज्य माओवादी आतंक की चपेट में रहा, लेकिन देश का दुर्भाग्य था कि कांग्रेस भारत के संविधान को नकारने वाले माओवादी आतंक को पालती-पोसती रही। उन्होंने आरोप लगाया कि सिर्फ दूरदराज के क्षेत्रों में ही नहीं, कांग्रेस ने शहरी क्षेत्रों में भी माओवाद को खाद-पानी दिया। कांग्रेस ने बड़ी-बड़ी संस्थाओं में अर्बन माओवादियों को स्थापित किया।
दस-पंद्रह साल पहले कांग्रेस में जो अर्बन माओवादी पैर जमा चुके थे, वह अब कांग्रेस को मुस्लिम लीगी माओवादी कांग्रेस बना चुके हैं। मुस्लिम लीगी माओवादी कांग्रेस अपने स्वार्थ में देशहित को तिलांजलि दे चुकी है और अब यह देश की एकता के सामने बहुत बड़ा खतरा बनती जा रही है।----बिहार का विकास कर सकते थे लालू, लेकिन चुना जंगलराजमोदी ने बिहार चुनाव की चर्चा करते हुए कहा कि एक सशक्त लोकतंत्र की अनेक कसौटियां होती हैं। ऐसी ही एक कसौटी लोकतंत्र में भागीदारी की होती है।
बिहार चुनाव का किया जिक्र
लोकतंत्र को लेकर लोग कितने आश्वस्त हैं, कितने आशावादी हैं, यह चुनाव के दौरान सबसे अधिक दिखता है। 14 नवंबर को आए बिहार के ऐतिहासिक नतीजों के साथ एक और बात बहुत अहम रही कि कोई भी लोकतंत्र में लोगों की बढ़ती भागीदारी को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। भारत के लोग आज उन राजनीतिक दलों पर विश्वास करते हें, जो नेक नीयत से उन आकांक्षाओं को पूरा करते हैं, विकास को प्राथमिकता देते हैं।
मैं हर राज्य की सरकार और दल की राज्य सरकार को विनम्रता से कहना चाहता हूं कि बिहार के नतीजे हमें यह सबक देते हैं कि आज आप किस प्रकार की सरकार चला रहे हैं, यह आने वाले समय में आपके राजनीतिक दल का भविष्य तय करेंगे। उन्होंने कहा कि राजद की सरकार को बिहार के लोगों ने 15 साल का मौका दिया। लालू यादव चाहते तो बिहार के विकास के लिए बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन उन्होंने जंगलराज का रास्ता चुना। बिहार के लोग इस विश्वासघात को कभी भूल नहीं सकते।

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