पीएम मोदी ने बच्चों से की 'दिल की बात', 'जीवन का उपहार' कार्यक्रम में मिलकर जाना हाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल में 'जीवन का उपहार' कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों से मुलाकात की, जिनका अस्पताल में मुफ्त इलाज किया गया था। पीएम मोदी ने बच्चों से बातचीत की और उनके सपनों के बारे में जाना। उन्होंने 'गिफ्ट ऑफ लाइफ' सर्टिफिकेट भी प्रदान किए।

जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का हुआ है इलाज (फोटो: एएनआई)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को छत्तीसगढ़ में नवा रायपुर स्थित श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल में आयोजित 'जीवन का उपहार' कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से आए बच्चों से मुलाकात की। जन्मजात हृदय रोग से पीडि़त इन बच्चों का इस अस्पताल में निश्शुल्क इलाज किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मैं 'मन की बात' नहीं, बल्कि आप सबसे 'दिल की बात' करने आया हूं।
वाराणसी से आए विश्वकांत उपाध्याय से बातचीत करते प्रधानमंत्री ने कहा कि वह अपने संसदीय क्षेत्र में भी जल्द ऐसा ही अस्पताल बनवाएंगे, ताकि गरीब परिवारों के बच्चों को निश्शुल्क हृदय उपचार मिल सके। अस्पताल द्वारा जिन बच्चों का निश्शुल्क आपरेशन किया गया है, उनमें से 2500 बच्चों को इस कार्यक्रम के लिए बुलाया गया था। उनसे बात कर प्रधानमंत्री ने जाना कि इलाज के बाद उनकी जिंदगी कैसे बदली।
पीएम ने पूछा- क्या बनना चाहते हैं?
प्रधानमंत्री ने बच्चों से पूछा कि वे बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं। इस पर कोरबा की एक बच्ची ने कहा, मैं डाक्टर बनना चाहती हूं। जैसे मेरा दिल ठीक हुआ, वैसे ही मैं भी बच्चों की मदद करूंगी। प्रधानमंत्री मुस्कुराए और बोले, यही सच्ची प्रेरणा है।
उन्होंने लखनऊ के शुभ सिंह, उज्जैन के पीयूष, वाराणसी के विश्वकांत उपाध्याय, फतेहपुर की मारिया फातिमा, सागर की योगिता यादव, शमशाबाद की यशिका शर्मा, ओडिशा की आशिका, वाराणसी के कृष्णा विश्वकर्मा, जौनपुर के ओम और प्रयागराज की इशात जहां से भी बात की।
फतेहपुर की 14 वर्षीय मारिया फातिमा ने प्रधानमंत्री के सामने कविता भी सुनाई। जिन बच्चों को हृदय के आपरेशन से जीवनदान मिला है, उन्हें पीएम मोदी ने 'गिफ्ट आफ लाइफ' सर्टिफिकेट भी दिया।
इन्हें मिला 'गिफ्ट आफ लाइफ' सर्टिफिकेट
- छवि सोलंकी (दो वर्ष), बस्तर, छत्तीसगढ़।
- पहल गुप्ता (10 वर्ष), गंगटोक, सिक्किम।
- आर्यन सिंह (10 वर्ष), मीरजापुर, उत्तर प्रदेश।
- रौनक (10 वर्ष), असम।
- मनीषा छेत्री (14 वर्ष), मेदिनीपुर, बंगाल।
- प्रदीप बंद्राल (नौ वर्ष), जम्मू-कश्मीर।
कई ने बीमारी को मात देकर हासिल किया नया मुकाम
- योगिता यादव, सागर (मध्य प्रदेश) : छह महीने पहले आपरेशन हुआ, हाकी में नेशनल प्रतियोगिता खेल चुकी हैं।
- यशिका शर्मा, शमशाबाद (मध्य प्रदेश) : आठ साल पहले आपरेशन हुआ, अब खो-खो की राज्य स्तरीय खिलाड़ी हैं।
- छवि सोलंकी, जगदलपुर (छत्तीसगढ़) : दो वर्ष की उम्र में आपरेशन हुआ, अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।
- मिष्ठी कुमारी, गया (बिहार) : 2018 में इलाज हुआ, अब स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं और डाक्टर बनने का सपना देख रही हैं।
- प्रिया मौर्य, चंदौली (उत्तर प्रदेश) : तीन साल पहले आपरेशन हुआ, प्रधानमंत्री से कहा-'पढ़ाई में कमजोर हूं लेकिन टीचर बनना चाहती हूं।' इस पर पूरा हाल ठहाकों से गूंज उठा।

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