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    'आपसे कोई खफा है, लेकिन आप संभाल लेंगे'; टैरिफ वॉर के बीच पीएम मोदी से बोले फिजी के प्रधानमंत्री

    Updated: Wed, 27 Aug 2025 08:53 AM (IST)

    फिजी के प्रधानमंत्री सितिवेनी लिगामामदा रबुका ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी में अमेरिकी टैरिफ के दबावों का सामना करने की शक्ति है। नई दिल्ली में ICWA के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि उनकी पीएम मोदी से बात हुई थी और उन्होंने मोदी की ताकत की सराहना की थी। रबुका का यह बयान उनके चार दिवसीय भारत दौरे के दौरान आया।

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    फिजी के प्रधानमंत्री सितिवेनी लिगामामदा रबुका भारत के दौरे पर आए हुए हैं।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी की तरफ से भारतीय सामान पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद फिजी के प्रधानमंत्री सितिवेनी लिगामामदा रबुका ने मंगलवार को कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी में ऐसी ताकत है कि वो इन दबावों का सामना कर सकते हैं।

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    रबुका ने नई दिल्ली में एक खास बातचीत में ये खुलासा किया, जब वो इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स (ICWA) की तरफ से सप्तु हाउस में 'ओशन ऑफ पीस' पर अपने भाषण के बाद सवालों का जवाब दे रहे थे।

    उन्होंने कहा, "मैंने कुछ दिन पहले पीएम मोदी से बात की थी। मैंने उनसे कहा कि कोई आपसे खफा है, मगर आप इतने ताकतवर हैं कि इन मुश्किलों को आसानी से झेल सकते हैं।"

    फिजी और भारत का पुराना रिश्ता

    रबुका का ये बयान उनके चार दिन के भारत दौरे के दौरान आया। इस दौरे में उनकी पत्नी सुलुवेती रबुका भी उनके साथ थीं। रविवार को नई दिल्ली में उनका शानदार स्वागत हुआ। इसके बाद 25 अगस्त को रबुका ने राजघाट पर फूल चढ़ाए और हैदराबाद हाउस में पीएम मोदी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों मुल्कों ने कई अहम समझौतों पर दस्तखत किए।

    रबुका ने उसी दिन राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात की। अगले दिन, 26 अगस्त को उन्होंने सप्तु हाउस में अपना भाषण दिया। इसमें उन्होंने भारत और फिजी के ताल्लुकात को और मजबूत करने की बात कही। उनका दौरा 27 अगस्त को दिल्ली से रवाना होने के साथ खत्म हो जाएगा।

    1879 से चला आ रहा नाता

    भारत और फिजी का रिश्ता कोई नया नहीं है। ये 1879 में शुरू हुआ, जब हिंदुस्तानी मजदूरों को 'गिरमिटिया' के तौर पर फिजी ले जाया गया। ये लोग वहां गन्ने के खेतों में काम करने के लिए गए थे। 1879 से 1916 के बीच करीब 60,553 हिंदुस्तानी फिजी पहुंचे।

    इसके बाद 20वीं सदी की शुरुआत में कई और लोग भी भारत से फिजी जाने लगे। 1920 में मजदूरी का ये सिलसिला खत्म हुआ। 1970 में फिजी को आजादी मिलने से पहले हिंदुस्तान ने वहां 1948 से अपने कमिश्नर को भेजना शुरू किया, जिसे बाद में हाई कमिश्नर का दर्जा मिला।

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