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    'मैं देश नहीं झुकने दूंगा.. यही समय है', व्यंग्य धार से लेकर काव्यधारा तक से सजे हैं मोदी की संघर्षगाथा के पन्ने; पढ़ें..

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 07:24 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को 75 साल के हो रहे हैं। उनकी छवि एक सख्त प्रशासक की है लेकिन उनके व्यक्तित्व का एक अनछुआ पहलू भी है उनका कवि मन। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरह मोदी भी अपनी भावनाओं को कविताओं में पिरोते हैं। उनकी लिखी कविताएं...

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    PM मोदी के 75वें जन्मदिन पर खास: 'मैं देश नहीं झुकने दूंगा', नारा नहीं, नरेंद्र की लिखी कविता है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संघ प्रचारक से लेकर प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे नरेंद्र मोदी का सार्वजनिक जीवन इतना लंबा है कि उनके व्यक्तित्व से कोई अपरिचित नहीं है। निस्संदेह उनकी छवि सख्त-अनुशासित प्रशासक और एक संवेदनशील राजनेता की है, लेकिन कुछ ऐसे अनछुए पहलू भी हैं, जिनके बारे में सामान्य: लोग नहीं जानते।

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    दरअसल, पीएम मोदी की संघर्षगाथा में कुछ ऐसे पन्ने भी हैं, जो उनके मानवीय, भावनात्मक, सृजनात्मक पक्ष को सामने लाते हैं।  राजनीतिक मंचों पर उनके तरकश से निकले व्यंग्य-बाण जितने तीखे रहते हैं, उससे अधिक गहराई उनकी भाव-सरोबार काव्य-धारा में है, जो 'देश नहीं झुकने दूंगा..' और 'यही समय है, सही समय है..' जैसे संकल्प बनकर संक्षिप्त रूप में सामने आती रही है।

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 17 सितंबर यानी बुधवार को 75 वर्ष के हो रहे हैं। अपने नेता के व्यक्तित्व-कृतित्व पर भाजपा के मंचों से और उनके समर्थकों के बीच चर्चा होगी। संभवत: केंद्र में वही विषय रहेंगे कि कैसे एक चाय बेचने वाला गरीब व्यक्ति प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा। चर्चा होगी कि कैसे करोड़ों देशवासियों का दिल जीतने के साथ-साथ पीएम मोदी ने विश्व में भारत की साख को मजबूत किया।

    समर्थक उनके राजनीतिक-रणनीतिक कौशल के साथ चर्चा करेंगे उनके द्वारा शुरू की गई जनकल्याण, गरीब कल्याण, नारी सशक्तिकरण की योजनाओं की और भारत को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने के उनके संकल्प की।

    इसी बीच, निश्चित ही यह चर्चा भी रोमांचित कर देने वाली हो सकती है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरह पीएम मोदी बेशक मंच के कवि न हों, इस रूप में उनकी पहचान न हो, लेकिन यह सच है कि काव्य-सृजन में उनकी भी रुचि है, राष्ट्र-प्रेम की अपनी भावनाओं, दृढ़ संकल्प के भावों को काव्य-रूप में पिरोने की क्षमता भी उनमें दिखाई देती है।

    गुजराती में लिखी कविता की हिंदी लाइनें..

    गुजराती में उनकी कवि कविताएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं, लेकिन हिंदी के इस कविता के अंश पढ़िए- 'यही समय है.. सही समय है, भारत का अनमोल समय है! यही समय है, सही समय है! भारत का अनमोल समय है! असंख्य भुजाओं की शक्ति है, हर तरफ देश की भक्ति है! तुम उठो तिरंगा लहरा दो, भारत के भाग्य को फहरा दो, यही समय है, सही समय है! भारत का अनमोल समय है!'

    इस कविता के शब्दों को 'यही समय है, सही समय है' के संदेश के रूप में देशवासियों ने निश्चित ही सुना होगा।

    इसी तरह देशवासियों ने मोदी के मुंह से कई बार सुना होगा

    मैं देश नहीं झुकने दूंगा। असल में यह भी कोई नारा नहीं, बल्कि उनके ही द्वारा रचित इस कविता के अंश हैं- 'सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं मिटने दूंगा। मैं देश नहीं झुकने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा।' मेरी धरती मुझसे पूछ रही, कब मेरा कर्ज चुकाओगे, मेरा अंबर मुझसे पूछ रहा, कब अपना फर्ज निभाओगे। मैंने वचन दिया भारत मां को, तेरा शीश नहीं झुकने दूंगा..।'

    इसके अलावा गंभीर राजनीतिक माहौल को कभी हास्य से हल्का कर देने और खुद पर हमलावर विरोधियों को तीखे व्यंग्य-बाणों से पीएम मोदी कैसे असहज करने का प्रयास करते हैं, इसकी बानगी चुनावी सभाओं से लेकर संसद तक में कई बार देखने को मिलती है। संसद में बेरोजगारी पर चर्चा हो रही थी तो चुटीले व्यंग्य का सहारा लेते हुए उन्होंने कहा- मैं देश की बेरोजगारी का समाधान करूंगा लेकिन उनकी(नेता प्रतिपक्ष) की बेरोजगारी का नहीं। 

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