देश के हर हिस्से में पहुंची PNG, विभिन्न राज्यों में प्राकृतिक गैस की कीमत में अंतर इसके विस्तार में बड़ी बाधा
द्वीपीय इलाकों को छोड़ दें तो देश के 34 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लगभग 784 जिलों में (100 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र) में पाइप्ड नेचुरल गैस (एनजी) पहुंच गई है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने कहा है कि उसने 2034 तक 12.63 करोड़ पीएनजी घरेलू कनेक्शन 18336 सीएनजी स्टेशन और 5.46 लाख किलोमीटर पाइप्ड गैस कनेक्शन का लक्ष्य निर्धारित किया है।

एएनआई, नई दिल्ली। द्वीपीय इलाकों को छोड़ दें तो देश के 34 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लगभग 784 जिलों में (100 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र) में पाइप्ड नेचुरल गैस (एनजी) पहुंच गई है।
पीएनजी कनेक्शनों की संख्या 12 करोड़ करने लक्ष्य
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने कहा है कि उसने 2034 तक 12.63 करोड़ पीएनजी घरेलू कनेक्शन, 18,336 सीएनजी स्टेशन और 5.46 लाख किलोमीटर पाइप्ड गैस कनेक्शन का लक्ष्य निर्धारित किया है।
बोर्ड ने कहा, ''लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, राज्यों और संस्थाओं के बीच एक मजबूत और समन्वित तालमेल अनिवार्य है।'
कई नीतिगत और नियामक उपाय किए
बोर्ड ने कहा कि सरकार ने इस क्षेत्र में विकास को गति देने के लिए कई नीतिगत और नियामक उपाय किए हैं। इन उपायों में प्रशासित मूल्य पर घरेलू गैस आवंटित करना और आपूर्ति तंत्र को आसान बनाना, सरकारी और रक्षा आवासीय परिसरों में पीएनजी (पाइप्ड प्राकृतिक गैस) प्रावधान अनिवार्य करने के साथ ही सीपीडब्ल्यूडी और एनबीसीसी को सभी सरकारी आवासीय परिसरों में पीएनजी प्रावधान शामिल करने का निर्देश देना शामिल है।
प्राकृतिक गैस पर पांच प्रतिशत तक वैट लगाते हैं कुछ राज्य
विभिन्न राज्यों में प्राकृतिक गैस की कीमत इसके विस्तार में एक बड़ी अड़चन है। जहां कुछ राज्य प्राकृतिक गैस पर पांच प्रतिशत तक वैट लगाते हैं वहीं अन्य 20 प्रतिशत से अधिक की दर वसूलते हैं। इससे लागत में भारी अंतर आ जाता है। देश में घरेलू पीएनजी की बिक्री कीमत त्रिपुरा में लगभग 45 रुपये प्रति एससीएम से लेकर उत्तराखंड में 63 रुपये प्रति एससीएम तक है।
सीएनजी की कीमत पुडुचेरी में 74.60 रुपये प्रति किलोग्राम है
इसी प्रकार, सीएनजी की कीमत पुडुचेरी में लगभग 74.60 रुपये प्रति किलोग्राम से लेकर उत्तराखंड में 103.80 रुपये प्रति किलोग्राम तक है। विभिन्न राज्यों में वैट को तर्कसंगत बनाकर इसके प्रयोग को बढ़ा सकते हैं।
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