'ये अमीर लोग...', पुणे पोर्श कार हादसे के आरोपी पर नाबालिग की तरह चलेगा केस; मृतकों के परिजनों ने जताई नाराजगी
पुणे पोर्श कार दुर्घटना मामले में किशोर न्याय बोर्ड ने फैसला सुनाया है कि आरोपी 17 वर्षीय लड़के पर नाबालिग के तौर पर ही मुकदमा चलेगा। मृतकों के परिजनों ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि आरोपी के साथ वयस्क जैसा व्यवहार होना चाहिए था क्योंकि उसने नशे में गाड़ी चलाकर दो लोगों की जान ली।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। किशोर न्याय बोर्ड ने मंगलवार को कहा कि पिछले साल पुणे में नशे की हालत में पोर्श कार चलाने और दो लोगों को कुचलने के आरोपित 17 वर्षीय लड़के पर नाबालिग की तरह मुकदमा चलाया जाएगा।
कोर्ट के इस फैसले पर मृतक इंजीनियरों के पिता ने नाराजगी जताई है। घटना में मारे गए अनीश अवधिया के पिता ओम प्रकाश अवधिया और मृतक अश्विनी कोष्टा के पिता सुरेश कोष्टा ने आपत्ति जताते हुए कहा कि एक साल से ज़्यादा समय बीत जाने के बाद भी, सरकार द्वारा बर्खास्त किए गए बोर्ड सदस्यों की जगह किसी और की नियुक्ति नहीं की गई। तो फिर एक महीने के अंदर ही लोगों की नियुक्ति और फैसले कैसे लिए गए, उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठेंगे।
आरोपी के साथ होना चाहिए वयस्क जैसा व्यवहार
दरअसल, एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, घटना में मारे गए अश्विनी कोष्टा के पिता सुरेश कोष्टा ने कहा कि शुरुआत में ही पूरे देश ने किशोर न्याय बोर्ड की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाई थी। एक व्यक्ति जो शराब पीकर गाड़ी चला रहा था, उसे किशोर कैसे माना जा सकता है। मुझे लगता है कि उसके साथ वयस्क जैसा व्यवहार करने का कोई सवाल ही नहीं होना चाहिए था।
वहीं, अनीश अवधिया के पिता ओम प्रकाश अवधिया ने कहा कि शुरू से ही साफ था कि हमें क्या मिलेगा। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि ऐसा कुछ न हो। अब जब ऐसा हो ही गया है, तो हम क्या कह सकते हैं? उन्होंने कहा कि ऐसा क्यों हो रहा है, ये तो नहीं पता, लेकिन ये अमीर लोग हैं।
पिछले साल का है मामला
राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरने वाली यह दुर्घटना पिछले साल 19 मई को कल्याणी नगर इलाके में हुई थी। इसमें मोटरसाइकिल सवार आइटी पेशेवर अनीश अवधिया और उनके दोस्त अश्विनी कोस्टा की मौत हो गई थी। पुणे पुलिस ने पिछले साल आरोपित पर एक वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की मांग की थी।
पुलिस ने क्या दिया था बयान?
पुलिस का कहना था कि उसने एक ''जघन्य'' कृत्य किया है क्योंकि न केवल दो लोगों को कुचलकर मार डाला गया, बल्कि सबूतों से छेड़छाड़ करने की भी कोशिश की गई। बचाव पक्ष के वकील के अनुसार, मंगलवार को किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपित लड़के पर एक वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की पुलिस की याचिका खारिज कर दी।
किशोर न्याय बोर्ड 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों से संबंधित मामलों की सुनवाई करने वाला एक न्यायिक निकाय है। यह बोर्ड किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत स्थापित किया गया है, जिसका उद्देश्य कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों की देखभाल और संरक्षण करना है।
गिरफ्तारी के बाद आरोपी को मिल गई थी जमानत
बहरहाल, पिछले साल 19 मई को हुई दुर्घटना के कुछ ही घंटों बाद आरोपित किशोर को जमानत मिल गई थी। जमानत की हल्की शर्तों ने देश भर में विवाद खड़ा कर दिया था। इसमें उससे सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा गया था। तीन दिन बाद उसे पुणे सिटी के एक सुधार गृह में भेज दिया गया था।
25 जून, 2024 को बॉन्बे हाईकोर्ट ने उसे तुरंत रिहा करने का निर्देश देते हुए कहा कि किशोर न्याय बोर्ड द्वारा उसे सुधार गृह भेजने का आदेश अवैध है और किशोरों से संबंधित कानून का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए। (इनपुट- पीटीआई के साथ)
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