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    लगातार सड़क दुर्घटनाओं पर राजस्थान हाईकोर्ट सख्त, केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

    Updated: Wed, 05 Nov 2025 07:14 AM (IST)

    राजस्थान उच्च न्यायालय ने सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ती मौतों पर सख्त रुख अपनाया है। उच्च न्यायालय की जोधपुर स्थित मुख्य पीठ और जयपुर स्थित खंडपीठ ने राज्य सरकार से छह नवंबर तक जवाब मांगा है। केंद्र और राज्य सरकार से भी अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया। न्यायालय ने पांच न्यायमित्रों की नियुक्ति भी की है।

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    राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ती मौतों पर सख्त रुख अपनाया है (फोटो- एक्स)

    पीटीआई, जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ती मौतों पर सख्त रुख अपनाया है। उच्च न्यायालय की जोधपुर स्थित मुख्य पीठ और जयपुर स्थित खंडपीठ ने राज्य सरकार से छह नवंबर तक जवाब मांगा है। केंद्र और राज्य सरकार से भी अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया। न्यायालय ने पांच न्यायमित्रों की नियुक्ति भी की है।

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    नोटिस जारी कर सड़क सुरक्षा को लेकर जवाब मांगा

    कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा व न्यायाधीश बलजिंदर सिंह संधू की पीठ ने एडवोकेट राजेंद्र प्रसाद शर्मा की ओर से दायर याचिका पर संज्ञान लेते अतिरिक्त सालिसिटर व राज्य के महाधिवक्ता को नोटिस जारी कर सड़क सुरक्षा को लेकर जवाब मांगा है।

    जयपुर पीठ में न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी की अदालत ने राज्य सरकार से राजमार्गों पर सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और जवाबदेही सुनिश्चित करने पर जोर दिया है।

    न्यायमूर्ति अनुरूप सिंघी और न्यायमूर्ति पी.एस. भाटी की खंडपीठ ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का हवाला दिया और कहा कि हाल की घटनाओं ने उन्हें सड़क सुरक्षा की तात्कालिकता पर जोर देने के लिए मजबूर किया है।

    पिछले महीने जैसलमेर में एक एसी स्लीपर बस में आग लगने से 26 लोगों की मौत हो गई। इसी हफ्ते फलौदी में एक टेम्पो ट्रैवलर और ट्रक की टक्कर में 15 लोगों की मौत हो गई और जयपुर में एक लापरवाही से चलाए गए डम्पर ट्रक ने कम से कम एक दर्जन से ज़्यादा वाहनों को टक्कर मार दी, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई।

    इन विभागों से पक्ष रखने को कहा

    पीठ ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, राजस्व, पीडब्ल्यूडी, स्थानीय निकाय, गृह, परिवहन और एनएचएआई विभागों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों के साथ-साथ अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और अतिरिक्त महाधिवक्ता को निर्देश दिया कि वे अपने विभागों से संबंधित सड़क सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा के मुद्दे पर अपना पक्ष प्रस्तुत करें।

    केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

    केंद्र और राज्य सरकार से भी अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया। न्यायालय ने पांच न्यायमित्रों की नियुक्ति भी की है, जिनसे अपेक्षा की जाती है कि वे ठोस सुझावों के साथ आम सहमति का एक साझा बयान दाखिल करें, जिसमें सड़क और सार्वजनिक सुरक्षा से संबंधित नियामक ढांचे को मजबूत करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का संकेत हो।