18 साल के पहले बालिका का नहीं कराएंगे विवाह, राजस्थान हाई कोर्ट ने माता-पिता से लिया वचन
राजस्थान हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में 16 वर्षीय बालिका को उसके माता-पिता को सौंपा, लेकिन शर्त रखी कि वे 18 साल से पहले उसकी मर्जी के बिना शादी नहीं कराएंगे। मामला चित्तौड़गढ़ का है, जहाँ बालिका ने परिजनों पर जबरन विवाह का आरोप लगाया था। अदालत ने माता-पिता से वचन लिया कि वे बालिका के साथ अच्छा व्यवहार करेंगे, अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

राजस्थान हाई कोर्ट ने लिया माता-पिता से वचन।
जागरण संवाददाता, जोधपुर। राजस्थान हाई कोर्ट ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण करते हुए 16 वर्षीय बालिका को उनके माता-पिता को इस शर्त पर सौंपा कि वे उसका विवाह बिना उसकी मर्जी 18 साल होने के पहले नहीं करेंगे।
मामला राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के एक गांव का है, जहां नाबालिग बालिका ने कोर्ट को बताया कि उसके परिजन उसका विवाह बिना सहमति के कहीं और करने के लिए दबाव बना रहे हैं और उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं।
परिजनों से लिया गया वचन
जस्टिस विनित कुमार माथुर और जस्टिस बिपिन गुप्ता की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए बालिका के परिजनों से वचन लिया। बालिका ने न्यायाधीशों के सामने अपनी पूरी बात रखी।
वकील ने क्या कहा?
याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि माता-पिता यह वचन देते हैं कि वे नाबालिग के साथ अच्छा व्यवहार करेंगे और उसकी भलाई का ध्यान रखेंगे। खंडपीठ ने आदेश दिया कि यदि माता-पिता द्वारा नाबालिग के साथ दुर्व्यवहार की कोई सूचना मिलती है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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