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    महाराष्ट्र और MP से राजस्थान लाए जाएंगे बाघ एवं बाघिन, बाघों की आनुवंशिक विविधता बढ़ाने की अनूठी पहल

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 02:00 AM (IST)

    राजस्थान में बाघों की आनुवंशिक विविधता बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से सात बाघ और बाघिन लाए जाएंगे। ये बाघ मध्य प्रदेश के पेंच और कान्हा टाइगर रिजर्व, और महाराष्ट्र के तडोबा और अंधेरी टाइगर रिजर्व से लाए जाएंगे। इनमें से तीन बाघिन रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में लाई जाएंगी। एनटीसीए ने इस प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है।

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    मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से राजस्थान लाए जाएंगे बाघ एवं बाघिन। (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में बाघों में आनुवांशिक विविधता लाने के लिए महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से सात बाघ एवं बाघिन लाए जाएंगे। मध्यप्रदेश के पेंच एवं कान्हा टाइगर रिजर्व और महाराष्ट्र के तंडोवा एवं अंधेरी टाइगर रिजर्व से बाघ-बाघिन को राजस्थान में लाया जाएगा।

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    इनमें से तीन बाघिन रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में लाई जाएगी। इसके लिए रिजर्व के बजाल्या ग्रासलैंड पर वायुसेना का हेलीपैड बन रहा है। पहले चरण में एक बाघिन मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से रामगढ़ विषधारी में इसी सप्ताह में लाई जाएगी।

    एनटीसीए की ओर से मिली मंजूरी

    यहां बाघिन को कुछ दिन अर्ध सुरक्षित बाड़े में रखा जाएगा, जिससे वह नए माहौल में ढल सके। इसके बाद खुले जंगल में छोड़ जाएगा। जिला वन अधिकारी देवेंद्र सिंह भाटी ने बताया कि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी (एनटीसीए)की ओर से पूरी प्रक्रिया के लिए अनुमति मिल चुकी है। रामगढ़ विषधारी और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघ बाघिन और बाघ लाए जाएंगे।

    दो बाघिन और दो बाघ को मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व एवं तीन बाघिन को रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में लाया जाएगा। वन अधिकारियों के अनुसार रामगढ़ विषधारी और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में रणथंभौर से लाए गए बाघों के कारण एक ही वंश के बाघ निवास कर रहे हैं। जिससे आनुवंशिक समानता की समस्या उत्पन्न हो रही है।

    टाइगर रिजर्व के बाघों में आनुवंशिक विविधता बढ़ेगी

    महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश से नए बाघ-बाघिन के लाने से इन दोनों टाइगर रिजर्व के बाघों में आनुवंशिक विविधता बढ़ेगी। वन्यजीव विशेषज्ञों ने भी इस बारे में सुझाव दिया था। राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा और अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद कुमार का मानना है कि आनुवंशिक विविधता बढ़ाना वर्तमान समय में आवश्यक है ।