युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं लड़े जाते, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर क्या बोले राजनाथ सिंह?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि युद्ध अब सीमाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हाइब्रिड रूप ले चुके हैं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान इसे अभी तक भूला नहीं है। उन्होंने सेना में किए गए सुधारों पर प्रकाश डाला और नागरिक-सैन्य तालमेल के महत्व पर जोर दिया। सीडीएस जनरल अनिल चौहान और सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी इस तालमेल की आवश्यकता बताई।

युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं लड़े जाते (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जिक्र किया और कहा कि पाकिस्तान इसे भूल नहीं पाया है। उन्होंने कहा कि अब युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं लड़े जाते। वे हाइब्रिड रूप ले चुके हैं।
दरअसल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त) और मेजर जनरल इयान कार्डोजो की पुस्तकों का विमोचन कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान रक्षा मंत्री ने यहां एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सेना में किए गए महत्वपूर्ण सुधारों पर प्रकाश डाला, जिसमें चीफ आफ डिफेंस (सीडीएस) पद सृजित करना शामिल है।
युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं लड़े जाते
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'अब युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं लड़े जाते बल्कि इसने हाइब्रिड और विषम रूप धारण कर लिया है। पारंपरिक रक्षा नजरिया अब लागू नहीं होता। हमारी सरकार ने भविष्य के लिहाज से मजबूत सशस्त्र बलों के लिए कई साहसी और निर्णायक सुधार किए हैं।'
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने तीनों सेनाओं के बीच असाधारण एकता और एकीकरण देखा। ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को गहरा आघात पहुंचाने का काम किया और वह आज भी इस दर्द को भूल नहीं पाया है।'
इस कार्यक्रम में राजनाथ ने लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राज शुक्ला और मेजर जनरल इयान कार्डोजो की पुस्तकों का विमोचन किया। कार्यक्रम में मौजूद सीडीएस जनरल अनिल चौहान और सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने नागरिक और सैन्य तालमेल की आवश्यकता पर जोर दिया।
नागरिक-सैन्य तालमेल के महत्व पर दिया जोर
सीडीएस चौहान ने कहा, 'जब सरकार ने मुझे सीडीएस के रूप में नियुक्त किया तो मेरी प्राथमिक जिम्मेदारियों में से एक तीनों सेनाओं के बीच सामंजस्य और एकीकरण बनाना था। यह एक बहुत कठिन कार्य है, लेकिन आवश्यक है। नागरिक-सैन्य तालमेल राष्ट्रीय स्तर पर सामंजस्य और एकीकरण के बारे में है। यह और भी कठिन है, लेकिन यह और ज्यादा आवश्यक है।' जबकि सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने भी नागरिक-सैन्य तालमेल के महत्व पर जोर दिया। (समाचार एजेंसी एएनआइ के इनपुट के साथ)
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