उपभोक्ताओं की शिकायतें दूर करने के लिए RBI उठाने जा रहा ये बड़ा कदम
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने उपभोक्ता शिकायतों के निवारण और सेवा स्तर में सुधार के लिए ओमबड्समैन गठित करने की घोषणा की है। एक ओमबड्समैन बैंकों के भीतर और दूसरा आरबीआई द्वारा स्थापित किया जाएगा। इसका उद्देश्य शिकायतों का निष्पक्ष निपटान सुनिश्चित करना और बैंकों में ग्राहक सेवा को बेहतर बनाना है। उन्होंने विकसित भारत के निर्माण में बैंकों के योगदान पर भी जोर दिया।

आरबीआई गवर्नर का बड़ा बयान।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि आरबीआई का अगला लक्ष्य उपभोक्ता की शिकायतों को दूर करने के लिए नए तरीके से ओमबड्समैन का गठन और उपभोक्ता सेवा के स्तर को बढ़ाना है।
शुक्रवार को एसबीआई के कॉनक्लेव के संबोधन में मल्होत्रा ने कहा कि हाल ही में सभी बैंकों को वित्तीय समावेश अभियान का लक्ष्य दिया गया था जिसे काफी सफलतापूर्वक हासिल किया गया। अब बैंकों में रखे हुए बिना दावे वाली रकम के निपटान का अभियान चलाया जा रहा है। इसके बाद उपभोक्ता सेवा को बेहतर बनाने और उनकी शिकायतों पर उचित कार्रवाई के लिए दो प्रकार के ओमबड्समैन का गठन किया जाएगा।
कैसे गठित होगा ओमबड्समैन?
एक ओमबड्समैन (जहां ग्राहक अपनी शिकायत कर सकेंगे) सभी बैंक आंतरिक रूप से गठित करेंगे और दूसरे ओमबड्समैन का गठन आरबीआई अपने स्तर पर करेगा। दोनों ओमबड्समैन की तरफ से बैंकों में ग्राहक सेवा के स्तर की लगातार समीक्षा की जाएगी। ग्राहकों की तरफ से आने वाली शिकायतों के मूल कारण को भी ढूंढ़ना होगा ताकि भविष्य में इस प्रकार की शिकायत दोबारा नहीं आए।
ओमबड्समैन के माध्यम से ग्राहकों की शिकायत का निपटान निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से किया जाएगा। गवर्नर ने बैंकों के सभी प्रमुखों से कहा कि ओमबड्समैन का गठन होने के बाद वे गंभीरता से इसे अपने-अपने बैंकों में अमल में लाएं।
'विकसित भारत के निर्माण में होगा बैंकों का अहम योगदान'
मल्होत्रा ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में बैंकों का अहम योगदान होगा और बैंकों में अस्थिरता से पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। कंपनियों के अधिग्रहण के लिए वित्तीय व्यवस्था के मामले में बैंकों पर लगी रोक हटने से देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि नियामक बाडी को फैसले लेने के दौरान मामले से जुड़े तत्वों पर ध्यान देना चा हिए न कि फैसले के लिए पहले से तय नियम को आधार बनाना चाहिए। एसबीआई के कानक्लेव में वित्तीय सेवाएं विभाग के सचिव एम. नागाराजु ने कहा कि वर्ष 2047 तक देश का आर्थिक आकार 32 लाख करोड़ डालर का होगा और तब वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई और बैंकों की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि नए-नए सेक्टर के लिए नए-नए बैंकों की आवश्यकता है। विदेश में खास सेगमेंट के लिए विशेष बैंक होते हैं, वैसे ही, भारत में भी उभरते हुए औद्योगिक सेक्टर की जरूरतों को पूरा करने के लिए नए-नए बैंक लाए जा सकते हैं।

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