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    'जुलाई से बढ़ रहे हैं डिजिटल फ्रॉड के मामले', RBI के डिप्टी गवर्नर ने चेताया

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 08:49 PM (IST)

    भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने डिजिटल फ्रॉड के मामलों में जुलाई से हो रही वृद्धि पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि RBI इस बढ़ोतरी के कारणों की जांच कर रहा है। वित्तीय वर्ष 2025 में फ्रॉड के मामलों में कमी आई थी, लेकिन डिजिटल पेमेंट में धोखाधड़ी अभी भी जारी है। उन्होंने बैंकों को फिनटेक के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने की सलाह दी।

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    जुलाई से डिजिटल फ्रॉड के मामले बढ़े

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने शुक्रवार को कहा कि इस साल जुलाई से डिजिटल फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। मुंबई में आयोजित एक इवेंट में बोलते हुए शंकर ने कहा कि जुलाई से पहले फ्रॉड केस कम थे। इसके बाद रिजर्व बैंक तेजी से हुई बढ़ोतरी के कारणों की जांच कर रहा है।

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    उन्होंने कहा, "अगर आप हर ट्रांजैक्शन पर फ्रॉड की संख्या देखें, तो पाते हैं कि पिछले साल की तुलना में इस साल की शुरुआत से फ्रॉड के मामले जुलाई तक काफी कम थे, लेकिन उसके बाद वे फिर से बढ़ने लगे। शंकर ने कहा कि यह बढ़ोतरी साइक्लिकल या सीजनल हो सकती है।

    जुलाई से डिजिटल फ्रॉड के मामले बढ़े

    उन्होंने कहा कि रेगुलेटर द्वारा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को म्यूल हंटर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे फ्रॉड से मिले पैसे को ट्रैक का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है। वित्तीय वर्ष 2025 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, FY25 में फ्रॉड की संख्या पिछले फाइनेंशियल ईयर के 36,000 से घटकर 23,953 हो गई थी।

    धोखाधड़ी अधिकांश डिजिटल पेमेंट की कैटेगरी में की गई, जिसमें कार्ड और इंटरनेट शामिल था। संख्या के हिसाब से प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में लगभग 60 परसेंट फ्रॉड केस हुए, जबकि वैल्यू के हिसाब से PSBs का शेयर FY25 के आखिर तक 71 परसेंट से ज्यादा था।

    RBI कर रहा है कारणों की जांच

    शंकर ने कहा कि पेमेंट के मामले में यह मानना सही होगा कि कुछ स्ट्रक्चरल वजहों से बैंक UPI की क्षमता को समझ नहीं पाए, जबकि फिनटेक कंपनियां ऐसा कर पाईं।

    RBI के DG ने कहा कि बैंक अपने मोनोलिथिक IT सिस्टम, ब्रांच नेटवर्क और कंप्लायंस कॉस्ट से होने वाले ज्यादा फिक्स्ड कॉस्ट की वजह से "स्ट्रक्चरली कमजोर" हैं, उन्होंने चेतावनी दी कि धीरे-धीरे डिजिटाइजेशन उन्हें कॉम्पिटिटिव बनाए रखने के लिए काफी नहीं होगा।

    बैंकों को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की सलाह

    उन्होंने बैंकों को सलाह दी कि वे फिनटेक इकोसिस्टम के साथ मुकाबला करने के लिए कोर इंफ्रास्ट्रक्चर को मॉडर्नाइज करने पर ध्यान दें।

    DG ने यह भी साफ किया कि कॉम्पिटिशन अब बैलेंस शीट की ताकत नहीं डेटा कैपेबिलिटी और टेक्नोलॉजी फ्लेक्सिबिलिटी पर निर्भर करेगा।

    उन्होंने कहा कि CBDCs (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) के साथ भी, बैंकिंग बिजनेस में काफी बदलाव होने की संभावना है और बैंकों को इन प्रभावों को समझने की जरूरत है।