तो इसलिए छोटे-छोटे मसलों पर पति-पत्नी के बीच खड़े हो जाते हैं मतभेद, रिसर्च में खुलासा
एक नए शोध में पाया गया है कि पुरुषों और महिलाओं के दिमाग में सैकड़ों जीन अलग-अलग तरीके से काम करते हैं, जो भ्रूण अवस्था में ही विकसित हो जाते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि मानव मस्तिष्क में 610 जीन पुरुषों में और 316 जीन महिलाओं में अधिक सक्रिय हैं। उनका मानना है कि इससे मस्तिष्क रोगों के जोखिम को समझने में मदद मिल सकती है।

पति-पत्नी के बीच मतभेद। (प्रतीकात्मक)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पति-पत्नी के बीच मतभेद या पुरुषों और महिलाओं की बुद्धि और व्यवहार में अंतर को लेकर दशकों से बहस चल रही है, लेकिन अब वैज्ञानिक प्रमाणों का बढ़ता आधार बताता है कि जैविक रूप से पुरुष और महिला दिमाग में सैकड़ों जीन अलग-अलग तरीके से काम करते हैं। ये जीन भ्रूण अवस्था में ही विकसित हो जाते हैं, यानी भ्रूण में टेस्टिस और ओवरी के विकास से बहुत पहले। हालांकि, ऐसा क्यों है, इस पर अभी रिसर्च जारी है।
हालिया अध्ययनों में पाया गया है कि मानव मस्तिष्क में 610 जीन पुरुषों में अधिक सक्रिय हैं, जबकि 316 जीन महिलाओं में ज्यादा सक्रिय पाए गए। विज्ञानियों ने ये भी आशंका जताई कि इन जीनों में कई ऐसे हैं जिनका संबंध अल्जाइमर और पार्किंसन जैसे मानसिक विकारों से भी हो सकता है। शोध दर्शाता है कि महिला-पुरुष के बीच अंतर केवल हार्मोन के कारण नहीं होते।
1,800 से अधिक जीन पुरुष भ्रूणों में सक्रिय
2025 में हुए एक अध्ययन में 266 भ्रूणीय दिमागों के विश्लेषण में पाया गया कि 1,800 से अधिक जीन पुरुष भ्रूणों में और 1,300 जीन महिला भ्रूणों में अधिक सक्रिय थे। दिलचस्प बात यह है कि लगभग 90 प्रतिशत यौन-पूर्वाग्रही जीन सामान्य (आटोसोमल) क्रोमोसोम पर पाए गए, यानी वे क्रोमोसोम जो पुरुष और महिला दोनों में समान होते हैं। इससे संकेत मिलता है कि हार्मोन के अलावा अन्य आनुवंशिक कारक भी इन जीनों की गतिविधि को प्रभावित करता है।
जीन गतिविधि के अंतर मस्तिष्क के कार्यों पर डालते हैं असर
विज्ञानियों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर जीन गतिविधि के अंतर का असर मस्तिष्क के कार्यों पर अवश्य पड़ता होगा, हालांकि इसका किस प्रकार असर होता है, यह अभी स्पष्ट नहीं है। कई महिला-पूर्वाग्रही जीन न्यूरान-आधारित प्रक्रियाओं से जुड़े पाए गए, जबकि पुरुष-पूर्वाग्रही जीन सेल मेम्ब्रेन और न्यूक्लियस संरचनाओं से अधिक संबंधित हैं।शोध यह भी दिखाता है कि ये अंतर केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं हैं।
जानवरों में पाया गया यही पैटर्न
चूहों, बंदरों और अन्य प्रजातियों में भी इसी तरह के पैटर्न पाए गए हैं, जो संकेत देता है कि यह प्रवृत्ति लगभग सात करोड़ वर्ष पुरानी है और हमारे सामान्य पूर्वजों से आई है।वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इन निष्कर्षों से पुरुषों और महिलाओं में मस्तिष्क रोगों के जोखिम और उनकी प्रकृति को बेहतर समझने में मदद मिलेगी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।