राइट टू डिस्कनेक्ट... अब ऑफिस के बाद बॉस का फोन न उठाने का मिलेगा हक; लोकसभा में बिल पेश
लोकसभा में सांसदों ने कई प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए। सुप्रिया सुले ने 'राइट टू डिस्कनेक्ट' बिल पेश किया, जिसके तहत कर्मचारी ऑफिस के बाद कॉल और ईमेल का ...और पढ़ें

अब ऑफिस के बाद बॉस का फोन न उठाने का मिलेगा हक (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा में शुक्रवार को कई सांसदों ने अलग-अलग मुद्दों पर प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए। प्राइवेट मेंबर बिल वे होते हैं जिन्हें सांसद अपनी ओर से रखते हैं। इन पर चर्चा जरूर होती है, लेकिन ज्यादातर बिल सरकार के जवाब के बाद वापस ले लिए जाते हैं।
NCP सांसद सुप्रिया सुले ने राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025 पेश किया। इस बिल में कर्मचारियों को काम के घंटे खत्म होने के बाद ऑफिस के कॉल और ईमेल का जवाब न देने का अधिकार देने का प्रस्ताव है। बिल में कर्मचारियों की मदद के लिए एकएम्प्लोईस वेलफेयर अथॉरिटीबनाने की बात भी शामिल है। बिल के तहत कर्मचारी छुट्टी या ऑफिस टाइम के बाहर आने वाले काम से जुड़े मैसेज और कॉल को अनदेखा कर सकते हैं।
महिलाओं के लिए मासिक धर्म लाभ से जुड़े बिल
कांग्रेस सांसद कडियम काव्या ने Menstrual Benefits Bill, 2024 पेश किया। इस बिल का मकसद महिलाओं को पीरियड्स के दौरान कार्यस्थल पर जरूरी सुविधाएं और खास लाभ देना है। LJP सांसद शंभवी चौधरी ने भी एक अलग बिल रखा, जिसमें कामकाजी महिलाओं और छात्राओं को पेड पीरियड लीव, साफ-सफाई की सुविधाएं और मासिक धर्म से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं देने का प्रस्ताव है।
कांग्रेस सांसद मनीषकं टैगोर ने एक बिल पेश किया जिसमें तमिलनाडु को NEET से छूट देने की मांग की गई है। हाल ही में राष्ट्रपति ने तमिलनाडु के NEET छूट कानून को मंजूरी देने से इनकार किया था, जिसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है।
DMK सांसद ने मृत्युदंड खत्म करने का बिल किया पेश
DMK सांसद कनिमोझी ने भारत में मृत्युदंडखत्म करने का प्रस्ताव रखने वाला बिल पेश किया। हालांकि केंद्र सरकार पहले भी कह चुकी है कि कुछ मामलों में डेथ पेनल्टी जरूरी है। करीब 10 साल पहले कानून आयोग ने सुझाव दिया था कि आतंकवाद के मामलों को छोड़कर डेथ पेनल्टी को धीरे-धीरे हटाया जा सकता है।
अंत में, निर्दलीय सांसद विशालदादा प्रकाशबाबू पाटिल ने Journalist (Prevention of Violence and Protection) Bill, 2024 पेश किया। इसका उद्देश्य पत्रकारों और उनकी संपत्ति को हिंसा से बचाना और उन्हें सुरक्षा देना है।
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