'अमेरिका ने अन्याय किया है', टैरिफ विवाद के बीच भारत के समर्थन में उतरा रूस; तेल खरीद पर ट्रंप को दिया दो टूक जवाब
रूस के उप राजदूत रोमन बाबुश्किन ने कहा कि भारत की तेल खरीदने की नीति पर अमेरिकी दबाव अन्यायपूर्ण है। रूस भारत को औसतन पांच फीसद सस्ती दर पर क्रूड उपलब्ध कराता है और आगे भी ऐसा करता रहेगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर की रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत की तेल खरीदने की नीति पर अमेरिकी दबाव अन्यायपूर्ण है। आज से नहीं बल्कि पिछले दो-ढ़ाई वर्षों से अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा है कि वह रूस से तेल (इनर्जी) की खरीद नहीं करे लेकिन इसके बावजूद रूस और भारत के बीच ऊर्जा कारोबार जारी रखने की व्यवस्था की गई है। आगे भी इस तरह के प्रतिबंधों का तोड़ निकाल लिया जाएगा। यह बात नई दिल्ली में रूस के उप राजदूत रोमन बाबुश्किन ने यहां मीडिया के समक्ष कही।
उनका यह बयान तब आया है जब रोजाना राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगी भारत पर आपूर्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं। रूसी दूतावास के अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस भारत को औसतन पांच फीसद सस्ती दर पर क्रूड उपलब्ध कराता है जो भारत से बड़े ऊर्जा खरीददार देश के लिए काफी फायदे का सौदा है और रूस आगे भी ऐसा करता रहेगा।
सर्गेई लावरोव से मिलेंगे एस जयशंकर
बाबुश्किन ने भारतीय मीडिया से जब बात की उसके कुछ घंटे पहले ही विदेश मंत्री एस जयशंकर मॉस्को पहुंचे हैं। जयशंकर की रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी जबकि रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मांटुरोव के साथ व्यापार, आर्थिक, प्रौद्योगिकी व संस्कृति सहयोग पर गठित भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग (आइआरआइजीसी) की बैठक की अध्यक्षता करेंगे।
दोनों देशों के विदेश मंत्रालय व दूसरे संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों के बीच लगातार विमर्श चल रहा है जो इस साल के अंत में भारत-रूस शिखर सम्मेलन के एजेंडे को तय करेगा। यानी अमेरिका की तरफ से भारत पर जितना ही रूस के साथ संबंधों को सीमित करने का दबाव बनाया जा रहा है, असलियत में दोनों देशों के बीच सहयोग की कोशिशें उतनी ही तेज हो रही हैं।
भारत को तेल देना जारी रखेगा रूस
बाबुश्किन ने कहा कि, “भारत अपनी जरूरत का 40 फीसद कच्चा तेल रूस से खरीदता है। यह भारत की इकोनमी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। रूस भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए सबसे ज्यादा तेल आपूर्ति करने वाला देश है। भारत की तेल खरीद बढ़ती जा रही है क्योंकि यहां खपत भी बढ़ रही है। रूस इस आपूर्ति को जारी रखेगा। पहले से ही अमेरिका व पश्चिमी देशों का दबाव है लेकिन हमने एक व्यवस्था बना रखी है कि तेल की आपूर्ति कैसे जारी रखी जाए। इस बारे में मैं चर्चा नहीं कर सकता।''
यह पूछने पर कि भारत ने अमेरिकी दबाव में तेल खरीदना बंद कर दिया तो क्या होगा तो बाबुश्किन का जवाब था कि, “हम जानते हैं कि ऐसा नहीं होगा लेकिन रूस को भारत के चुनौतीपूर्ण स्थिति का पता है। हमें भारत के साथ संबंधों पर भरोसा है। उम्मीद है कि हम साथ मिल कर इस चुनौती का भी सामना कर सकेंगे। पिछले दो वर्षों में हमारा द्विपक्षीय कारोबार सात गुणा बढ़ गया है जो बताता है कि हम साथ मिल कर चुनौतियों का सामना करना जानते हैं।''
रूस के भारत में व्यापार प्रतिनिधि अवगिनी ग्रीवा से जब यह पूछा गया कि भारत को तेल खरीद में कितनी छूट दी जाती है तो उनका जवाब था कि, “तेल खरीद एक कारोबारी समझता है लेकिन मोटे तौर पर पांच फीसद छूट भारत को मिलती रही है। इसमें थोड़ा बहुत उतार चढ़ाव होता है, लेकिन सामान्य तौर पर पांच फीसद ही है।''
कुछ दिन पहले भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों के अधिकारियों ने बताया कि यूरोप के नये प्रतिबंध के बाद रूस 47-48 डॉलर से ज्यादा कीमत पर तेल नहीं बेच सकता। पहले यह कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल थी। ऐसे में भारत को मिलने वाली छूट भी 4-5 डॉलर प्रति बैरल से घट कर 1.5-2 डॉलर प्रति बैरल रह गई है।सनद रहे कि अमेरिका ने हाल ही में भारत पर 25 फीसद का अतिरिक्त शुल्क इसलिए लगाया है कि वह रूस से तेल की खरीद करता है।
इस तरह का शुल्क उसने चीन पर नहीं लगाया है जो रूस से सबसे ज्यादा तेल की खरीद करता है। यह शुल्क पहले से भारत पर लगाये गये 25 फीसद शुल्क के अतिरिक्त है। भारत ने राष्ट्रपति ट्रंप के इस कदम की कड़ी निंदा की है।
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