'भारत-चीन के बीच मतभेद विवाद में नहीं बदलने चाहिए', SCO बैठक से पहले जयशंकर की ड्रैगन को दो टूक
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की और कहा कि भारत-चीन के मतभेद विवाद नहीं बनने चाहिए। उन्होंने सीमा पर टकराव वाले मसलों के समाधान पर जोर दिया। जयशंकर ने चीन के उपराष्ट्रपति से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को सुगम बनाने पर बल दिया। उन्होंने कारोबार को प्रतिबंधित करने वाले कदमों पर चिंता जताई।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बैठक में कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेद विवाद में नहीं बदलने चाहिए और न ही प्रतिस्पर्धा संघर्ष का रूप लेनी चाहिए। सकारात्मक संबंध केवल आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता के आधार पर ही बनाए जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले नौ महीनों में द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में हुई बेहतर प्रगति के बाद भारत और चीन को अब वास्तविक नियंत्रण रेखा(एलएसी) से जुड़े टकराव वाले मसलों के समाधान पर ध्यान देना चाहिए।
पांच साल में पहली बार चीन की यात्रा पर विदेश मंत्री
भारतीय विदेश मंत्री की 2020 में गलवन घाटी में सैन्य संघर्ष के बाद यह पहली चीन यात्रा है जिसे दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। चीन की तरफ से भारत के आर्थिक हितों को प्रभावित करने वाले एक के बाद एक कदमों का मुद्दा भी जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री के समक्ष उठाया।
चीनी उप राष्ट्रपति से की विदेश मंत्री जयशंकर ने की मुलाकात
जयशंकर ने तीन दिवसीय यात्रा के पहले दिन वांग यी के अलावा चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग से भी मुलाकात की। जयशंकर ने वांग यी के साथ मुलाकात में कहा- 'एक पड़ोसी और दुनिया की दो प्रमुख आर्थिकी होने के नाते हमारे संबंधों के कई आयाम हैं। दोनों देशों की जनता के बीच संबंधों को सुगम बनाने को लेकर कदम उठाकर हम द्विपक्षीय सहयोग को काफी बेहतर बना सकते हैं। यह भी बहुत जरूरी है कि कारोबार को प्रतिबंधित करने वाले कदमों और अड़चनों को नहीं आने दिया जाए।'
चीन ने अपने इंजीनियरों को बुला रहा वापस
बताया गया है कि दोनों विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक में भारत ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया है। चीन ने पहले भारतीय आटोमोबाइल कंपनियो को रेअर अर्थ की आपूर्ति रोकी, उसके बाद फर्टिलाइजरों की आपूर्ति भी बाधित कर रहा है। अब सूचना है कि वह आइफोन बनाने वाली भारतीय इकाई से चीनी मूल के इंजीनियरों को वापस बुला रहा है। इससे भारत में आइफोन के निर्माण पर असर पड़ने की आशंका है।
दो हफ्ते पहले ही चीन के उप विदेश मंत्री आए थे भारत
दो हफ्ते पहले चीन के उप विदेश मंत्री सुन वीडोंग भी भारत आए थे, तब विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इन मुद्दों को उठाया था। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि एससीओ की आगामी बैठक में ''आतंकवाद के प्रति जीरो टालरेंस'' को बरकरार रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि इसका प्राथमिक उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करना है। उनकी इस टिप्पणी को पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को दिए जा रहे समर्थन के संदर्भ में देखा जा रहा है।
कल SCO बैठक में हिस्सा लेंगे जयशंकर
जयशंकर मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे। बीजिंग पहुंचने के कुछ ही देर बाद उन्होंने उपराष्ट्रपति हान झेंग से भी मुलाकात की थी। इस बैठक में जयशंकर ने कहा-'हमारे द्विपक्षीय संबंध, जैसा कि आपने उल्लेख किया, अक्टूबर 2024 में कान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात के बाद से लगातार बेहतर हो रहे हैं। मुझे विश्वास है कि इस यात्रा के दौरान मेरी चर्चाएं इस सकारात्मक दिशा को बनाए रखेंगी।'
जयशंकर ने भारत की ओर से चीन की एससीओ अध्यक्षता के लिए समर्थन व्यक्त किया। जयशंकर ने सीमा पर डी-एस्केलेशन को 'रणनीतिक विश्वास' और द्विपक्षीय संबंधों के सुचारू विकास का आधार बताया। उन्होंने हाल के महीनों में डेमचोक और देपसांग जैसे महत्वपूर्ण टकराव वाले बिंदुओं पर सैन्य वापसी की प्रक्रिया को पूरा करने की प्रगति का उल्लेख किया।
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