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    'पूरे कश्मीर को भारत में मिलाना चाहते थे सरदार पटेल', पीएम मोदी बोले- जवाहरलाल नेहरू ने ऐसा नहीं होने दिया

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 12:26 AM (IST)

    प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक हितों के लिए देश की एकता पर हमला करने की मानसिकता गुलाम मानसिकता का हिस्सा है। कांग्रेस को न केवल अंग्रेजों से पार्टी और सत्ता विरासत में मिली, बल्कि उसने गुलाम मानसिकता भी अपना ली। उन्होंने घुसपैठियों का मुद्दा भी उठाया और उन्हें राष्ट्रीय एकता एवं जनसांख्यिकीय संतुलन के लिए गंभीर खतरा बताया।

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    'पूरे कश्मीर को भारत में मिलाना चाहते थे सरदार पटेल', पीएम मोदी (फोटो- पीटीआई)

    जागरण न्यूज नेटवर्क, एकता नगर (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर तीखा हमला बोला और दावा किया कि उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल को कश्मीर को भारतीय संघ में पूर्ण रूप से मिलाने से रोक दिया था। कश्मीर पर हुई उस गलती के कारण क्षेत्र में दशकों तक अशांति रही और रक्तपात हुआ।

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    प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक हितों के लिए देश की एकता पर हमला करने की मानसिकता गुलाम मानसिकता का हिस्सा है। कांग्रेस को न केवल अंग्रेजों से पार्टी और सत्ता विरासत में मिली, बल्कि उसने गुलाम मानसिकता भी अपना ली। उन्होंने घुसपैठियों का मुद्दा भी उठाया और उन्हें राष्ट्रीय एकता एवं जनसांख्यिकीय संतुलन के लिए गंभीर खतरा बताया।

    सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर गुजरात के केवडिया में एकता परेड का आयोजन किया गया। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, आज की युवा पीढ़ी में से कई लोग शायद नहीं जानते कि सरदार पटेल कश्मीर के पूर्ण एकीकरण की कामना करते थे, ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने अन्य रियासतों का सफलतापूर्वक विलय किया था। उनका मानना था कि इतिहास लिखने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, बल्कि हमें इतिहास रचने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।

    मोदी ने कहा कि अंतत: कश्मीर क्षेत्र एक अलग संविधान और प्रतीक द्वारा विभाजित हो गया। इस प्रारंभिक त्रुटि से देश में दशकों तक उथल-पुथल रही।

    आजादी के बाद 550 से अधिक रियासतों के एकीकरण के असंभव से लगने वाले कार्य को पूरा करने में पटेल की सफलता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, "कांग्रेस की कमजोर नीतियों के कारण कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे में चला गया, जिसने बाद में राज्य प्रायोजित आतंकवाद को बढ़ावा दिया। कश्मीर और देश ने इसकी भारी कीमत चुकाई, फिर भी कांग्रेस हमेशा आतंकवाद के आगे झुकी रही। कांग्रेस सरदार पटेल के दृष्टिकोण को भूल गई, लेकिन हम नहीं।"

    प्रधानमंत्री ने अतीत और अपनी सरकार के कार्यकाल के बीच सीधा अंतर दर्शाते हुए कहा कि 2014 के बाद राष्ट्र ने एक बार फिर सरदार पटेल से प्रेरित दृढ़ संकल्प देखा। आज कश्मीर अनुच्छेद-370 की बेड़ियों से मुक्त हो गया है और पूरी तरह से मुख्यधारा में शामिल हो गया है। इस कदम ने पाकिस्तान और आतंकवाद के साजिशकर्ताओं को भारत की असली ताकत का अहसास कराया है।

    "ऑपरेशन सिंदूर" का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, दुनिया ने देखा कि अगर चुनौती दी गई तो भारत दुश्मन के घर में घुसकर भी हमला करेगा। देश अपनी सुरक्षा और सम्मान से कभी समझौता नहीं करेगा। यह संदेश भी दिया कि यह लौह पुरुष सरदार पटेल का भारत है।

    पटेल के बाद की सरकारों ने संप्रभुता के प्रति नहीं दिखाई गंभीरता

    प्रधानमंत्री ने अपनी आलोचना को कश्मीर से आगे बढ़ाते हुए खेद व्यक्त किया कि पटेल के बाद की सरकारों ने राष्ट्रीय संप्रभुता के प्रति उतनी गंभीरता नहीं दिखाई और इसके प्रत्यक्ष परिणामों के रूप में पूर्वोत्तर में चुनौतियों एवं नक्सल-माओवादी उग्रवाद की ओर इशारा किया।

    उन्होंने भारत के जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ने के लिए घुसपैठ को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि पहली बार देश ने इस खतरे के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ने का फैसला किया है और भारत अपनी धरती से हर घुसपैठिए को खदेड़ देगा

    जनसांख्यिकीय संतुलन बिगाड़ रहे अवैध प्रवासी

    मोदी ने आरोप लगाया कि अवैध प्रवासी (घुसपैठिए) संसाधनों पर कब्जा कर रहे हैं और जनसांख्यिकीय संतुलन बिगाड़ रहे हैं, जिससे देश की एकता खतरे में पड़ रही है। पिछली सरकारों ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर आंखें मूंदे रखीं। वोट बैंक की राजनीति के लिए जानबूझकर देश की सुरक्षा को खतरे में डाला गया। जब सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है, तब कुछ लोग अपने हितों के कारण अवैध प्रवासियों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।

    भारत की प्रत्येक भाषा एक राष्ट्रीय भाषा

    प्रधानमंत्री ने भारत की एकता के चार स्तंभों पर जोर दिया- सांस्कृतिक एकता, भाषा की एकता, भेदभाव रहित विकास और कनेक्टिविटी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की प्रत्येक भाषा एक राष्ट्रीय भाषा है और किसी एक भाषा को दूसरों पर थोपने का कभी प्रयास नहीं किया गया।

    भिन्न विचारधाराओं के नेताओं की उपेक्षा हुई

    प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल, बीआर आंबेडकर, कर्पूरी ठाकुर और जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गजों की उपेक्षा का हवाला देते हुए राजनीतिक अस्पृश्यता और भिन्न विचारधाराओं वाले नेताओं को हाशिए पर डालने की आलोचना की। कहा कि आरएसएस पर भी हमले और षड्यंत्र किए गए। एक पार्टी और एक परिवार के बाहर हर व्यक्ति और हर विचार को अछूत बनाने की कोशिश की गई।

    वंदे मातरम के अंश हटाकर कांग्रेस ने रखी विभाजन की नींव

    प्रधानमंत्री ने दावा किया कि कांग्रेस ने धार्मिक आधार पर राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के एक अंश को हटाकर औपनिवेशिक मानसिकता का प्रदर्शन किया। मोदी ने कहा, "जिस दिन कांग्रेस ने वंदे मातरम को तोड़ने और विभाजित करने का फैसला किया, उसी दिन उसने भारत के विभाजन की नींव रख दी। अगर कांग्रेस ने वह पाप नहीं किया होता, तो आज भारत की तस्वीर बिल्कुल अलग होती।"