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    Siddhivinayak मंदिर की आय 16 प्रतिशत बढ़कर हुई 133 करोड़ रुपये, अगले साल की कमाई लेकर भी की गई 'भविष्यवाणी'

    Updated: Wed, 02 Apr 2025 05:18 PM (IST)

    मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 133 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड आय दर्ज की जो पिछले वर्ष की तुलना में 15% अधिक है। मंदिर प्रशासन ने बताया कि भक्तों को बेहतर दर्शन अनुभव देने से दान में वृद्धि हुई। अगले वित्तीय वर्ष में आय बढ़कर 154 करोड़ रुपये होने की संभावना है। राजस्व का मुख्य स्रोत दान पेटी पूजा-अनुष्ठान प्रसाद बिक्री और सोने-चांदी के चढ़ावे हैं।

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    सिद्धिविनायक मंदिर में भक्तों की भीड़ और भव्य दर्शन का नजारा (फोटो सोर्स- पीटीआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रभादेवी के सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 133 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड वार्षिक आय की जानकारी दी है। कार्यकारी अधिकारी वीना पाटिल ने कहा कि यह रकम 2023-24 में 114 करोड़ रुपये से 15% अधिक है। प्रबंध समिति ने 31 मार्च को अपना वार्षिक बजट पेश किया। अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 में मंदिर का राजस्व बढ़कर 154 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।

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    सिद्धिविनायक के उप कार्यकारी अधिकारी संदीप राठौड़ ने कहा, "प्रशासन की कार्यकुशलता के कारण, हमारी आय जो 114 करोड़ रुपये होने की उम्मीद थी, वह बढ़कर 133 करोड़ रुपये हो गई, जो ट्रस्ट के अपने अनुमान से 15% अधिक है। हमने देखा है कि अगर भक्तों को सहज दर्शन की सुविधा दी जाए, अगर कतारें व्यवस्थित तरीके से तेजी से आगे बढ़ें, तो अधिक लोग दर्शन कर सकते हैं, जिससे दान में वृद्धि होती है।"

    "सिद्धिविनायक में, प्रत्येक भक्त को दर्शन के लिए 10-15 सेकंड मिलते हैं, जो मेरे अनुसार, अन्य बड़े मंदिरों की तुलना में बेहतर है, जो 5-7 सेकंड देते हैं। नतीजतन, लोगों का दिल अधिक दान करने के लिए इच्छुक है।" संदीप राठौड़, उप कार्यकारी अधिकारी, सिद्धिविनायक ट्रस्ट

    कैसे आता है मंदिर का राजस्व?

    राजस्व का आकलन 'दान पेटी' आय, पूजा अनुष्ठानों, लड्डू और नारियल वाड़ी प्रसाद की बिक्री, ऑनलाइन दान और सोने-चांदी के चढ़ावे से किया जाता है। यह धनराशि ट्रस्ट की कल्याणकारी गतिविधियों में जाती है। राठौड़ ने कहा, "हम मुद्रास्फीति के लिए राजस्व मूल्यांकन को समायोजित करते हैं। हालांकि खाद्य पदार्थों और सोने की कीमतों में वृद्धि हुई है, फिर भी हमने देखा है कि हमारे सोने-चांदी में अधिक वस्तुओं की नीलामी की जा रही है। प्रसाद को बिना लाभ-हानि के आधार पर बेचा जाता है।"

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