'SIT को नोएडा के पूर्व सीईओ की भी जांच करनी चाहिए...' अधिक मुआवजा मामले में सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों को अधिक मुआवजा मामले में एसआइटी से नोएडा के पूर्व सीईओ की भी जांच की जाए। कोर्ट ने नोएडा के अधिकारियों की 'मिलीभगत' और ...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को दिया जांच का आदेश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि किसानों को अधिक मुआवजा मामले में विशेष जांच दल (एसआइटी) से नोएडा के पूर्व सीईओ की भी जांच की अपेक्षा की जाती है।
कोर्ट ने कहा कि नोएडा के अधिकारियों की कथित 'मिलीभगत' और 'साजिश' में किसानों को उनकी जमीन के मुआवजे के रूप में अधिक भुगतान की जांच के लिए गठित एसआइटी को पिछले 10-15 वर्षों में प्राधिकरण के शीर्ष पर रहे मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और अन्य लोगों की भी जांच करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को दिया जांच का आदेश
चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां तथा जस्टिस एन. कोटिश्वर ¨सह की पीठ ने एसआइटी को जांच पूरी करने के लिए दो महीने का और समय दिया। नोएडा की ओर से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वे इस मामले में प्राधिकरण का ²ष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए हलफनामा दाखिल करना चाहते हैं।
किसानों को अधिक मुआवजा मामले में अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन किसानों को अधिक भुगतान किया गया है, उन्हें दंडित नहीं किया जाएगा और उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। अपनी जमीन के लिए कथित तौर पर अधिक भुगतान पाने वाले एक किसान की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने कहा कि उनके मुवक्किल को एसआइटी के समक्ष पेश होने तथा बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस मिल रहे हैं।
उन्होंने पीठ से आग्रह किया, 'कृपया किसानों की रक्षा करें क्योंकि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है।' पीठ ने कहा कि उसने अपने पिछले आदेशों में स्पष्ट कर दिया है कि जांच का उद्देश्य किसानों को परेशान करना नहीं है, बल्कि उन अधिकारियों की मिलीभगत और सांठगांठ की जांच करना है जिन्होंने अधिक भुगतान किया।
अधिकारियों की मिलीभगत की जांच का उद्देश्य
कोर्ट ने एसआइटी द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट को रिकार्ड में लिया, जिसमें जांच पूरी करने के लिए तीन महीने का समय मांगा गया है।
गौरतलब है कि 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के अधिकारियों के खिलाफ एसआइटी जांच का आदेश दिया था, जिन पर बिल्डरों के साथ मिलीभगत करके भूमि मालिकों को उनके हक से अधिक मुआवजा देने का आरोप है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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