छोटे परमाणु रिएक्टर की रेस में तेजी से आगे बढ़ रहा भारत, रूस ने जताई सहयोग की इच्छा
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के बढ़ते प्रभाव के साथ ऊर्जा की मांग बढ़ रही है। छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण ...और पढ़ें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग उद्योगों में जैसे-जैसे क्रांति ला रहे हैं, विश्वसनीय, स्वच्छ और स्केलेबल ऊर्जा की मांग बढ़ती जा रही है। छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों बनने लगे हैं। कॉम्पैक्ट न्यूक्लियर पावर यूनिट अब ग्लोबल एनर्जी के क्षेत्र में पसंदीदा बनते जा रहे हैं।
एसएमआर, दूर दराज द्वीपों को बिजली देने से लेकर डेटा सेंटर्स को ईंधन देने तक का काम करते है, जिसे परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अगली बड़ी चीज के रूप में देखा जा रहा है। छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों को भारत सिर्फ किनारे से देख ही नहीं रहा है, बल्कि अपना खुद का निर्माण भी कर रहा है, भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर। आज, छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर दुनिया के लिए चर्चा का विषय हैं और चीन के लिए गर्व की बात हैं।
समझिए क्या है एसएमआर?
एनडीटीवी के साथ एक विशेष बातचीत में, रूस के सरकारी परमाणु निगम रोसाटॉम में प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ एलेक्जेंडर वोल्गिन ने एसएमआर की संभावनाओं और इस परिवर्तनकारी तकनीक पर भारत के साथ सहयोग करने के रूस के खुलेपन के बारे में बात की।
डॉ. वोल्गिन ने बताया, "जब हम एसएमआर की बात करते हैं, तो हम छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों की बात कर रहे होते हैं। 'छोटे' का मतलब है कि वे पारंपरिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की तुलना में कम जगह घेरते हैं, और 'मॉड्यूलर' का मतलब है कि वे कारखाने में इकट्ठे होते हैं और एक ही टुकड़े के रूप में ले जाए जा सकते हैं।"
छोटे और कम जगह वाले परमाणु संयंत्र
तमिलनाडु के कुडनकुलम जैसे विशाल परमाणु प्रतिष्ठानों के विपरीत, रूसी एसएमआर केवल 15-17 हेक्टेयर क्षेत्र में समा सकते हैं। डॉ वोल्गिन ने कहा, "इसमें एक ही यूनिट में पंप, भाप जनरेटर और परमाणु ईंधन समाहित होते हैं। यह एक भाप-उत्पादक इकाई है जो एक अलग टरबाइन द्वीप को ऊर्जा प्रदान करती है।"
रूसी एसएमआर 55 मेगावाट बिजली और 200 मेगावाट तक तापीय ऊर्जा प्रदान कर सकता है। यूरेनियम ईंधन 20% तक समृद्ध है, जो पारंपरिक दाबित जल रिएक्टरों की तुलना में अधिक है, लेकिन फिर भी सुरक्षित सीमा के भीतर है।
उन्होंने आगे कहा, "यह रिएक्टर वाकई बहुत छोटा है। रिएक्टर को ट्रेन से भी ले जाया जा सकता है। यह दूरदराज के इलाकों, द्वीपों या उन जगहों के लिए आदर्श है जहां वर्तमान में डीजल का इस्तेमाल होता है।"
तेजी से आगे बढ़ रहा है भारत
रूस पहले से ही याकूतिया क्षेत्र में एक भूमि-आधारित एसएमआर का निर्माण कर रहा है और उसने उज्बेकिस्तान को छह यूनिटों की आपूर्ति के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस बीच, चीन ने टेस्ट यूनिट के रूप में 100 मेगावाट की भूमि-आधारित एसएमआर चालू कर दी है।
डॉ. वोल्गिन ने कहा, "यह अब एक बड़ा कदम है। ज्यादातर देश अपने स्वयं के एसएमआर विकसित कर रहे हैं, फ्रांस, अमेरिका और चीन। लेकिन रूस इसमें अग्रणी है। हम 1950 के दशक से ही आइसब्रेकर पर छोटे रिएक्टरों का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। आरआईटीएम-200 रिएक्टर इसी का एक नया रूप है।"
छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर पर काम कर रहा भारत
डॉ. वोल्गिन ने कहा, भारत इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक भारत के नेट-जीरो मिशन के तहत 100 गीगावाट (GW) परमाणु ऊर्जा के एक साहसिक लक्ष्य की घोषणा की है। भारत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर का विकास भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), मुंबई द्वारा स्वदेशी रूप से किया जा रहा है और रूस इस यात्रा का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक है।
डॉ. वोल्गिन ने कहा, "हम और अधिक ऊर्जा, और अधिक रिएक्टर - बड़े पैमाने पर, छोटे पैमाने पर, फ्लोटिंग इकाइयां, यहां तक कि उन्नत रिएक्टर - प्रदान करने के लिए तैयार हैं।"
भारत-रूस: कुडनकुलम से भारत एसएमआर तक?
भारत के भारत एसएमआर के सह-विकास की संभावना के बारे में पूछे जाने पर, डॉ. वोल्गिन ने स्पष्ट रूप से कहा: "यदि परमाणु ऊर्जा विभाग और BARC हमें आमंत्रित करते हैं, तो निश्चित रूप से हमें इसमें सहयोग करने में खुशी होगी।"
लोकलाइजेशन पर भी विचार किया जा रहा है। उन्होंने पुष्टि की, "हम भारत में अपनी आपूर्ति श्रृंखला विकसित कर रहे हैं। लोकलाइजेशन और एसएमआर पर हम सरकार और परमाणु ऊर्जा विभाग के साथ गहन चर्चा कर रहे हैं।"
भारत द्वारा अपने परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने के साथ, जैसे कि हाल ही में एनपीसीआईएल और एनटीपीसी के बीच संयुक्त उद्यम, रोसाटॉम इस पर कड़ी नजर रख रहा है।
डॉ. वोल्गिन ने कहा, "यह बहुत अच्छी खबर है। हम भारतीय निजी कंपनियों की हरित ऊर्जा उत्पादन की क्षमता और इच्छा को महसूस करते हैं। हम सभी संभावनाओं का अध्ययन करेंगे।"
सुरक्षित और हरित रिएक्टर
सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय बनी हुई है। लेकिन रूसी आइसब्रेकर पर 400 से अधिक रिएक्टर-सालों के अनुभव और किसी भी दुर्घटना के बिना, रोसाटॉम एसएमआर की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त है। उन्होंने जोर देकर कहा, "ये रिएक्टर निष्क्रिय और सक्रिय सुरक्षा प्रणालियों का संयोजन करते हैं। ये दुर्घटना-प्रतिरोधी और डिजाइन के अनुसार सुरक्षित हैं।"

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