'जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी कोई सामान्य कृत्य नहीं', शब्बीर शाह से बोला सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता शब्बीर शाह से हिरासत आदेश प्राप्त करने के लिए कहा। अदालत ने टिप्पणी की कि कश्मीर में पत्थरबाजी सामान्य नहीं है। एनआईए को शाह के हलफनामे पर जवाब देने के लिए तीन सप्ताह मिले। शाह के वकील ने हिरासत आदेशों की मांग की, जिसका विरोध किया गया। अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी कोई सामान्य कृत्य नहीं है, यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता शब्बीर शाह से कहा कि वह अपनी हिरासत का आदेश हासिल करने के लिए राज्य की नेशनल कांफ्रेंस सरकार से संपर्क करे।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ के समक्ष जब सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने नए तथ्यों की ओर इशारा किया और पाकिस्तान स्थित आतंकी नेटवर्कों के साथ शब्बीर शाह के संबंधों पर जोर दिया तो पीठ ने शब्बीर शाह के नए हलफनामे पर जवाब देने के लिए एनआइए को तीन हफ्ते का समय दे दिया।
शब्बीर शाह के वकील ने क्या दलील दी?
शब्बीर शाह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने दलील दी कि उसके परिवार को हिरासत के आदेश उपलब्ध नहीं कराए गए थे और वह 1970 से जारी कई हिरासती आदेशों की मांग कर रहा है। तुषार मेहता ने इस दलील का विरोध किया और कहा कि यह मुद्दा दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष नहीं उठाया गया था।
पीठ ने क्या कहा?
पीठ ने भी कहा, ''सरकार से विवरण मांगिए। जमानत की कार्यवाही में इसकी मांग क्यों की जा रही है? यह 50 वर्ष से भी ज्यादा पुराना मामला है।'' गोंजाल्विस ने तर्क दिया कि शब्बीर शाह 39 वर्षों से भाषण और उसके बाद पत्थरबाजी करने जैसे सामान्य आरोप में जेल में है।
तब जस्टिस मेहता ने कहा, ''इस राज्य में पत्थरबाजी कोई सामान्य कृत्य नहीं है।'' इससे पहले, शीर्ष अदालत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के एक मामले में शाह को अंतरिम जमानत देने से इन्कार कर दिया था।
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