उम्मीद पोर्टल के खिलाफ याचिका पर जल्द सुनवाई से SC का इनकार, 6 महीने के भीतर वक्फ संपत्तियों को पंजीकृत कराना है जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद पोर्टल के खिलाफ दाखिल याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है क्योंकि वक्फ संशोधन कानून 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट का फैसला सुरक्षित है। याचिकाकर्ताओं ने कानून पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की है। कोर्ट ने कहा कि वह अपने फैसले में उम्मीद पोर्टल के मुद्दे पर विचार करेगा जिसके तहत वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद पोर्टल के खिलाफ दाखिल अर्जी पर जल्द सुनवाई करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अंतरिम आदेश के मुद्दे पर अभी उनका फैसला सुरक्षित है। वह फैसला देगा।
सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं जिनमें वक्फ संशोधन कानून 2025 की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं ने कानून पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करके अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अंतरिम आदेश पर कोर्ट का फैसला आना है।
सरकार ने जारी किया उम्मीद पोर्टल
इस बीच सरकार ने उम्मीद पोर्टल जारी कर दिया है जिसमें नियम के मुताबिक छह महीने के भीतर वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण कराना जरूरी है। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर उम्मीद पोर्टल का विरोध करते हुए उस पर रोक लगाने की मांग की है।
शुक्रवार को एक वकील ने प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए जल्दी सुनवाई की मांग की। वकील ने कहा कि यह अर्जी उम्मीद पोर्टल के खिलाफ है इस पर जल्दी सुनवाई कर ली जाए।
कोर्ट का फैसला है सुरक्षित
वकील ने कहा कि रजिस्ट्री ने उनकी अर्जी सुनवाई पर लगाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया है कि मामले में कोर्ट का फैसला सुरक्षित है। लेकिन कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इन्कार करते हुए कहा कि अभी फैसला सुरक्षित है और कोर्ट मामले में फैसला देगा।
लेकिन वकील ने अपनी मांग पर जोर देते हुए कहा कि कोर्ट का कानून पर अंतरिम रोक के मुद्दे पर फैसला सुरक्षित है परन्तु इसी बीच उम्मीद पोर्टल जारी कर दिया गया है जिसमें नियम के मुताबिक वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण कराना जरूरी किया गया है जिसमें वक्फ बाई यूजर का भी पंजीकरण कराना शामिल है।
कोर्ट करेगा विचार
उन्होंने कहा कि नियम के मुताबिक छह महीने की समय सीमा पंजीकरण कराने के लिए रखी गई है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पंजीकरण ही तो कराना है छह महीने में आप पंजीकरण कराइए आपको कोई पंजीकरण से मना नहीं कर रहा। कोर्ट ने कहा कि वह अपने आदेश में इस हिस्से पर विचार करेंगे।
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