सुप्रीम कोर्ट से IMA को लगा झटका, पारंपरिक चिकित्सा के विज्ञापनों के खिलाफ दायर याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है जो पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित थी। पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ दायर याचिका जिसमें आधुनिक चिकित्सा की अवमानना और झूठे दावों का आरोप था पर कोर्ट ने पहले अस्थायी प्रतिबंध लगाया था। न्यायमूर्ति बीवी नागराथना और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि आईएमए को पहले ही राहत मिल चुकी है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारंपरिक चिकित्सा में भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने पहले के आदेश को भी रद कर दिया है।
बता दें कि IMA ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कंपनी के विज्ञापन आधुनिक चिकित्सा की अवमानना करते हैं। वहीं, आयुर्वेदिक उत्पादों के बारे में झूठे दावे करते हैं।
कोर्ट ने लगाया था पतंजलि के विज्ञापनों पर अस्थायी प्रतिबंध
इससे पहले कोर्ट ने पहले पतंजलि के विज्ञापनों पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया था। पतंजलि के प्रोमोटर्स बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की थी।
न्यायमूर्ति बीवी नागराथना और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि आईएमए द्वारा मांगी गई राहत पहले ही मिल चुकी है, इसलिए इस मामले को बंद किया जा सकता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि वह किसी नियम को पुनर्जीवित नहीं कर सकती है जो केंद्र द्वारा हटा दिया गया हो। जजों की टिप्पणी पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि झूठे दावों की जांच के लिए एक वैधानिक और स्व-नियामक ढांचा पहले से ही मौजूद है, जो नियम 170 को अनावश्यक बनाता है।
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