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    'यासिन मलिक अगर कश्मीर गया तो...', सुप्रीम कोर्ट में क्यों उठा आतंकी कसाब की सुनवाई का मुद्दा?

    Updated: Thu, 21 Nov 2024 12:47 PM (IST)

    कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे देश में अजमल कसाब को भी निष्पक्ष स ...और पढ़ें

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    अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) से जुड़ी एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।(फोटो सोर्स:जागरण)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई हुई। कार्यवाही के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अजमल कसाब के मामले का हवाला देते हुए निष्पक्ष सुनवाई के महत्व को दोहराया है।

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    साल 1989 में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के चार कर्मियों की हत्या के मामले में मलिक को जम्मू की अदालत में शारीरिक रूप से पेश होने को कहा गया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इस आदेश के खिलाफ कोर्ट में अपील की है। हालांकि, मलिक ने यह कहा है कि वह व्यक्तिगत रूप से पेश होना चाहते हैं।

    यासिन मलिक के कश्मीर जाने से माहौल बिगड़ सकता है: सीबीआई

    सीबीआई ने जम्मू की अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए कहा है कि मलिक की शारीरिक उपस्थिति से जम्मू कश्मीर में माहौल बिगाड़ सकता है और उनके खिलाफ गवाहों को खतरा हो सकता है।

    केंद्रीय एजेंसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति ए जी मसीह की पीठ से कहा, ''हम उसे जम्मू-कश्मीर नहीं ले जाना चाहते।'' न्यायमूर्ति ए एस ओका ने पूछा, ''लेकिन वीसी (वीडियो कॉन्फ्रेंस) में जिरह कैसे की जा सकती है।'' पीठ ने जम्मू में खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी का भी उल्लेख किया।

    यासिन मलिक सिर्फ एक और आतंकवादी नहीं...

    तुषार मेहता ने कहा कि अगर मलिक व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर अड़े रहते हैं, तो मामले को दिल्ली स्थानांतरित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अलगाववादी नेता व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर जोर देकर "चालें चल रहे हैं"। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मलिक "सिर्फ एक और आतंकवादी नहीं है"।

    कोर्ट ने तुषार मेहता की दलीलों पर क्या कहा?

    तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस ओका ने कहा, "सुनिए कि मुकदमे में कितने गवाह हैं, हमारे देश में अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई मिली थी।

    कोर्ट ने इस बात पर सहमति जताई कि सुनवाई के लिए जेल में ही कोर्ट बनाया जा सकता है। इसके बाद पीठ ने केंद्र से पूछा कि कितने गवाह पेश होंगे और उनकी सुरक्षा व्यवस्था क्या होगी। मामले की अगली सुनवाई अगले गुरुवार को होगी।

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