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    दिव्यांगों का मजाक बनाने के लिए SC ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों को लगाई फटकार, कहा- व्यावसायिक भाषण अभिव्यक्ति की आजादी नहीं

    Updated: Mon, 25 Aug 2025 10:00 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यावसायिक भाषण अभिव्यक्ति की आजादी के तहत नहीं आते। कोर्ट ने इंडिया गाट लैटेंट के समय रैना सहित पांच इंटरनेट मीडिया इन्फ्लुएंसरों को दिव्यांगों का उपहास करने पर माफी मांगने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि पश्चाताप की मात्रा अपमान से अधिक होनी चाहिए।

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    SC ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों को लगाई फटकार

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि व्यावसायिक भाषण अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार के तहत नहीं आते। कोर्ट ने दिव्यांगों और दुर्लभ आनुवंशिक विकारों से ग्रसित लोगों का उपहास करने पर इंडिया गाट लैटेंट के समय रैना सहित पांच इंटरनेट मीडिया इन्फ्लुएंसरों को अपने शो के दौरान माफी मांगने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पश्चाताप की मात्रा अपमान की मात्रा से ज्यादा होनी चाहिए।

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    इस मामले में पांच इंटरनेट मीडिया इन्फ्लुएंसरों समय रैना, विपुल गोयल, बलराज परमजीत ¨सह, सोनाली ठक्कर और निशांत जगदीश तंवर पर दिव्यांग, आनुवंशिक विकारों से ग्रसित और दृष्टिबाधित लोगों का उपहास करने का आरोप है। सोमवार को सोनाली ठक्कर उर्फ सोनाली आदित्य देसाई को छोड़कर बाकी चार इन्फ्लुएंसर कोर्ट में पेश हुए।

    पांचों इन्फ्लुएंसरों को निर्देश

    जस्टिस सूर्यकांत और जोयमाल्या बागची की पीठ ने पांचों इन्फ्लुएंसरों को निर्देश दिया कि वे अपने शो या पाडकास्ट के दौरान दिव्यांगों और आनुवंशिक विकारों से ग्रसित लोगों का उपहास करने के लिए बिना शर्त माफी मांगें। कोर्ट ने कहा कि इन लोगों पर कितना जुर्माना लगाया जाएगा, इस पर बाद में विचार होगा। कोर्ट ने उनसे पूछा है कि वे कितना जुर्माना भरने को तैयार हैं। इस जुर्माने का उपयोग स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) जैसे दुर्लभ आनुवंशिक विकार से पीड़ित लोगों के इलाज में किया जाएगा।

    सुनवाई के दौरान जस्टिस बागची ने कहा कि विभिन्न समुदायों से संबंधित हास्य या मजाक करते समय अधिक सचेत रहना चाहिए। मीडिया का यह भाग ज्यादातर अपने अहंकार को पोषित करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह आपको ही पोषित करता है और जब आप बहुत बड़े हो जाते हैं तो आपके बहुत से फॉलोवर हो जाते हैं। यहां केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है। यह विशुद्ध रूप से व्यावसायिकता है। पीठ ने कहा कि भाषण कई प्रकार के होते हैं और अमीश देवगन केस में कोर्ट ने विभिन्न प्रकार के भाषणों को व्यावसायिक भाषणों और निषिद्ध भाषणों में वर्गीकृत किया है। व्यावसायिक और निषिद्ध भाषणों के मामले में आपको कोई मौलिक अधिकार प्राप्त नहीं है।

    सूचना प्रसारण मंत्रालय को पक्षकार बनने की मंजूरी

    कोर्ट ने सूचना प्रसारण मंत्रालय को पक्षकार बनने की मंजूरी दे दी और अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि वह सभी हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखते हुए इंटरनेट मीडिया पर सामग्री को रेगुलेट करने के बारे में दिशा-निर्देश तैयार करें। वेंकटरमणी ने कोर्ट को बताया कि सरकार दिशा-निर्देश तैयार करने की प्रक्रिया में है। लेकिन, उन्होंने किसी गैग आर्डर की संभावना से इन्कार किया।

    जस्टिस सूर्यकांत ने सहमति जताते हुए कहा कि इसीलिए पिछली सुनवाई पर सुझाव दिया गया था कि दिशा-निर्देशों का मसौदा हितधारकों के विचार के लिए सार्वजनिक रूप से साझा किए जाएंगे। कुछ जवाबदेही होनी चाहिए। आज यह दिव्यांग लोगों के लिए है। कल यह महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी हो सकता है। जस्टिस बागची ने अटार्नी जनरल से कहा कि प्रस्तावित दिशा-निर्देशों से लोगों को संवेदनशील बनाया जाना चाहिए और उनकी गलतियों के लिए जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। दिव्यांगों का उपहास करने पर इन्फ्लुएंसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाले एनजीओ क्योर एसएमए फाइंडेशन की वकील ने कहा कि इनमें बेहतर समझ पैदा हुई है और इन्होंने बिना शर्त माफी मांगी है।

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