बिहार मतदाता सूची पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, कहा- चुनाव आयोग को आधार कार्ड स्वीकार करना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले की सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की। अदालत ने चुनाव आयोग को मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान प्रस्तुत किए जा सकने वाले 11 दस्तावेजों में से एक के रूप में आधार कार्ड को स्वीकार करने का आदेश दिया है। यह फैसला मतदाता पहचान प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और अधिक नागरिकों को नामांकित करने में मदद करेगा।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (22 अगस्त, 2025) को बड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग को मतदाता सूची के चल रहे 'विशेष गहन पुनरीक्षण' के दौरान प्रस्तुत किए जा सकने वाले 11 दस्तावेजों में से एक के रूप में आधार को स्वीकार करना होगा।
मतदाता सूची के 'विशेष गहन पुनरीक्षण' को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवेदन पुनः शामिल करने के लिए इन 11 में से किसी एक या आधार के साथ प्रस्तुत किया जा सकता है।
'राजनीतिक दल नहीं कर रहे अपना काम'
अदालत ने बिहार के राजनीतिक दलों पर भी कड़ी टिप्पणी की और यह जानना चाहा कि उन्होंने 65 लाख से अधिक हटाए गए मतदाताओं की सहायता क्यों नहीं की। दरअसल, आरजेडी और कांग्रेस जैसे कई राजनीतिक दलों ने इस आधार पर संशोधन का विरोध किया है कि यह उन समुदायों को मताधिकार से वंचित करने के लिए बनाया गया है जो परंपरागत रूप से उन्हें वोट देते हैं।
'करनी चाहिए थी मतदाताओं की मदद'
अदालत ने कहा, "राजनीतिक दल अपना काम नहीं कर रहे हैं। आपके बीएलए (बूथ-स्तरीय एजेंट) क्या कर रहे हैं? राजनीतिक दलों को मतदाताओं की मदद करनी चाहिए।" अदालत ने चुनाव आयोग की इस टिप्पणी को दोहराते हुए कहा कि आपत्तियां व्यक्तिगत राजनेताओं, यानी सांसदों और विधायकों की ओर से दर्ज की गई थीं, न कि राजनीतिक दलों की ओर से।
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