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    डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, CBI को सौंप सकती है जांच

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 01:38 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों पर सख्ती दिखाते हुए सीबीआई को जांच सौंपने के संकेत दिए हैं। न्यायालय ने इन मामलों की गंभीरता पर चिंता जताई है और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए निष्पक्ष जांच की आवश्यकता पर बल दिया है। 

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    सुप्रीम कोर्ट डिजिटल अरेस्ट पर सख्त

    डिजिटल डेस्क नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए अहम टिप्पणी की है। SC ने सोमवार को कहा कि ऐसे अपराधों की गंभीरता और प्रसारण को देखते हुए इसकी जांच CBI को सौंपने का मन बना रहा है। इस कड़ी में अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज FIR की डिटेल्स मांगी हैं।

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    जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्य बागची की बेंच ने डिजिटल अरेस्ट मामलों पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है। इसमें साइबर अपराधियों द्वारा ठगी गईं बुजुर्ग महिला की शिकायत पर खुद से दर्ज किए गए मामलों को 3 नवंबर को सुनवाई के लिए लिस्ट किया।

    सुप्रीम कोर्ट डिजिटल अरेस्ट पर सख्त

    सुप्रीम कोर्ट ने CBI की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर ध्यान दिया कि साइबर क्राइम और डिजिटल अरेस्ट के मामले म्यांमार और थाईलैंड जैसी विदेशी जगहों से शुरू हो रहे हैं। कोर्ट ने जांच एजेंसियों को इन मामलों की जांच के लिए एक प्लान के साथ आने का निर्देश दिया।

    कोर्ट ने कहा, "हम CBI जांच की प्रोग्रेस पर नजर रखेगी, जो भी ज़रूरी निर्देश होंगे, वो जारी करेंगे।"
    बेंच ने CBI से पूछा कि क्या उसे डिजिटल अरेस्ट मामलों की जांच के लिए पुलिस फोर्स में साइबर एक्सपर्ट्स के साथ अन्य रिसोर्स की जरूरत है?बीते 17 अक्टूबर को देशभर में ऑनलाइन धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और CBI से जवाब मांगा था। कोर्ट ने कहा था कि ऐसे अपराध सिस्टम में जनता के भरोसे को कम करते हैं।

    पीड़ितों को न्याय दिलाने का उद्देश्य

    सुप्रीम कोर्ट ने अंबाला के सीनियर सिटीजन कपल के डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामले का संज्ञान लिया था। जिसमें धोखेबाजों ने कोर्ट और जांच एजेंसियों के जाली आदेशों के आधार पर उनसे 1.05 करोड़ रुपये ऐंठ लिए थे। बेंच ने कहा कि यह कोई मामूली अपराध नहीं है जहां वह पुलिस से जांच में तेजी लाने और मामले को उसके लॉजिकल नतीजे तक पहुंचाने के लिए कह सकती थी, बल्कि यह एक ऐसा मामला है जहां आपराधिक गिरोह के पूरे दायरे का पता लगाने के लिए केंद्र और राज्य पुलिस के बीच कोऑर्डिनेटेड करने की जरूरत है।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)