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    'सख्ती से निपटा जाएगा', 3 हजार करोड़ रुपये के डिजिटल अरेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी 

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 04:20 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है, जहां साइबर अपराधी बुजुर्गों को निशाना बनाकर उनसे करोड़ों रुपये ऐंठ रहे हैं। अदालत ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सख्ती से निपटने की बात कही है। कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों से लगभग 3 हजार करोड़ रुपये वसूले गए हैं और समस्या को गंभीरता से लेना होगा। मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी।

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    सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (03 नवंबर, 2025) को डिजिटल अरेस्ट से सख्ती से निपटने की बात कही है। इन मामलों में साइबर क्रिमिनल लोगों को नकली सरकारी अधिकारी, पुलिस के अधिकारी या फिर जांच अधिकारी बनकर खासकर बुजर्गों को डिजिटल अरेस्ट कर लेते हैं और पैसे ऐंठते हैं।

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    अदालत ने यह भी कहा कि पीड़ितों से लगभग 3 हजार करोड़ रुपये वसूले गए हैं और यह समस्या आगे बढ़ने वाली है। जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि कोर्ट इस मुद्दे पर सभी पार्टियों को सुनेगा और एक न्यायमित्र, वरिष्ठ वकील एनएस नप्पिनई की नियुक्ति करेगा। मामले पर कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है।

    'मामले में सख्ती से निपटा जाएगा'

    जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "यह चौंकाने वाला मामला है कि अकेले हमारे देश में पीड़ितों से लगभग 3,000 करोड़ रुपये वसूले गए हैं। अगर हम इसे अभी नजरंदाज करते हैं और कड़े और सख्त आदेश पारित नहीं करते हैं तो समस्या और बढ़ जाएगी। हम इससे सख्ती से निपटने का पक्का इरादा रखते हैं।"

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सबसे दुखद बात यह है कि पीड़ित खासकर बुज़ुर्ग लोग हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि गृह मंत्रालय में एक स्पेशल यूनिट है जो ऐसी शिकायतों की जांच कर रही है। उन्होंने विस्तारित रिपोर्ट फाइल करने के लिए समय की मांग की।

    सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

    मामले पर बात करते हुए अदालत ने कहा कि इससे निपटने के लिए डोमेन एक्सपर्ट्स की जरूरत पड़ सकती है। कोर्ट ने कहा, "यह एक बहुत बड़ी चुनौती है। कुछ बहुत चौंकाने वाला। हमें नहीं पता कि दूसरे देशों में क्या हो रहा है। हमें नहीं पता कि टेक्निकल और फाइनेंशियल पिलर कैसे काम कर रहे हैं। हमें उनकी क्षमताओं को मजबूत करने की जरूरत है। अगर हम चूक गए या नजरअंदाज किया और सख्त आदेश जारी नहीं किए तो समस्या और बढ़ जाएगी।"

    जस्टिस कांत ने कहा कि उनके ऑफिस ने गृह मंत्रालय से मिली सीलबंद रिपोर्ट के आधार पर एक छोटी रिपोर्ट तैयार की है और कुछ काम के सुझाव सामने आए हैं। थोड़ी देर की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि सही निर्देश दिए जाएंगे। मामले को 10 नवंबर को लिस्ट करने का आदेश दिया गया।

    पिछली सुनवाई में क्या हुआ?

    27 अक्टूबर को पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों की जांच करने के लिए कह सकता है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा, "हमें पूरे भारत में डिजिटल अरेस्ट मामलों की एक जैसी जांच की जरूरत है। हम इस मामले को सीबीआई को सौंपना चाहते हैं क्योंकि अपराधी पूरे भारत में काम कर रहे हो सकते हैं या शायद बॉर्डर पार से भी।"

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