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    सड़कों पर पैदल चलने वालों के लिए बनेंगे नियम, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिए अहम निर्देश

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 11:30 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने सड़क सुरक्षा पर महत्वपूर्ण आदेश देते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को छह महीने के भीतर नियम बनाने का निर्देश दिया है। यह आदेश पैदल यात्रियों और गैर-मोटरिक वाहनों के आवागमन को नियमित करने और सड़कों के निर्माण व रखरखाव की निगरानी के लिए दिया गया है।

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    कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिए निर्देश (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सड़क सुरक्षा के मामले में महत्वपूर्ण आदेश दिये हैं। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सार्वजनिक स्थानों पर पैदल यात्रियों और गैर-मोटरिक वाहनों (साइकिल, हाथ गाड़ियां आदि) के आवागमन को रेगुलेट करके और सड़कों के निर्माण और रखरखाव की निगरानी करके सड़क सुरक्षा पर छह महीने के भीतर नियम बनाने का आदेश दिया है।

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    ये आदेश न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सड़क सुरक्षा के मामले में लंबित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मोटर वाहन अधिनियम 1988 (एमवी एक्ट) की धारा 138(1ए) और 210डी के तहत ऐसे नियम बनाने का निर्देश दिया है। ये प्रविधान 2019 के संशोधन के जरिए एमवी एक्ट में शामिल किए गए थे।

    होंगे कई बड़े बदलाव

    एमवी एक्ट की धारा 138(1ए) राज्यों को सार्वजनिक स्थानों पर गैर-यांत्रिक (नान-मोटराइज्ड) चलित वाहनों और पैदल यात्रियों का आवागमन रेगुलराइज्ड करने के लिए सड़क सुरक्षा नियम बनाने का अधिकार देती है। इसमें कहा गया है कि यदि राज्यों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों के संबंध में ऐसे नियम लागू किये जाने हैं, तो उन्हें भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के परामर्श से तैयार किया जाना चाहिए।

    वहीं धारा 210डी कहती है कि राज्य राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा अन्य सड़कों के लिए डिजाइन, निर्माण और रखरखाव मानकों के नियम बना सकते हैं। कोर्ट ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि यदि ऐसे नियम अभी तक नहीं बनाए गए हैं तो उन्हें छह महीने के भीतर बनाया जाए। कोर्ट ने ये आदेश कोयंबटूर के रहने वाले एक सर्जन एस. राजासीकरन की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये। याचिका में भारत में बड़ी संख्या में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं का मुद्दा उठाया गया है।

    पिछले कुछ वर्षों में कोर्ट ने दिए हैं निर्देश

    याचिका में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए समन्वित प्रयास करने का निर्देश देने की मांग की गई है। राजासीकरन की याचिका में सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों की मौत और शारीरिक चोटों को कम करने के लिए बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार के लिए भी निर्देश मांगे गए हैं।

    पिछले कुछ वर्षों में कोर्ट ने इस इस मामले में कई निर्देश जारी किये हैं, जिनमें सड़क सुरक्षा मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक संचालन समिति का गठन और मोटर वाहन अधिनियम, विशेष रूप से धारा 136ए (इलेक्ट्रानिक निगरानी और सड़क सुरक्षा लागू करना) लागू करना शामिल है। पिछले वर्ष अगस्त में कोर्ट ने कहा था कि वह सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजा भुगतान की सुविधा के लिए राज्य और केंद्रीय पोर्टल के गठन के लिए निर्देश जारी करने पर भी विचार करेगा।

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