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    सिविल जज के पद पर भर्ती के लिए 3 साल का अनुभव जरूरी? सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

    Updated: Mon, 25 Aug 2025 11:29 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश पर फैसला सुरक्षित रख लिया है जिसमें तीन साल के अनिवार्य वकालत अनुभव के बिना सिविल जज के पद पर भर्ती पर रोक लगाई गई थी। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की पीठ ने मामले की सुनवाई की।

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    सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देनेवाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें तीन साल के अनिवार्य वकालत अनुभव के बगैर सिविल जज के पद पर की जा रही भर्ती पर रोक लगाई गई थी।

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    न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और एएस चंदुरकर की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। एडवोकेट अश्वनि कुमार दुबे ने हाई कोर्ट की तरफ से पेश होते हुए कहा कि दोबारा परीक्षा का आदेश असंवैधानिक, अव्यावहारिक और याचिकाओं की बाढ़ ला देगा। शीर्ष अदालत ने इससे पहले हाई कोर्ट को सिविल जज, जूनियर डिवीजन (प्रवेश स्तर) परीक्षा, 2022, के साक्षात्कार आयोजित करने और परिणाम घोषित करने की अनुमति दी थी।

    तीन साल की प्रैक्टिस अनिवार्य की गई थी

    पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें तीन साल के अनिवार्य अनुभव के बिना सिविल जज के पद पर की जा रही भर्ती पर रोक लगाई गई थी। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा (भर्ती और सेवा शर्तें) नियमावली, 1994 को जून 2023 में संशोधित किया गया था, जिसमें सिविल जज एंट्री लेवल परीक्षा के लिए राज्य में तीन साल की प्रैक्टिस अनिवार्य की गई थी।

    संशोधित नियमों को हाई कोर्ट ने सही ठहराया था, लेकिन इसने एक और कानूनी विवाद को जन्म दिया। ऐसा तब हुआ जब दो ऐसे उम्मीदवारों ने दावा किया कि संशोधित नियमों को लागू करने पर वे भी योग्य हो जाते, और उन्होंने कट-ऑफ की समीक्षा की मांग की। भर्ती पर रोक लगाते हुए, हाई कोर्ट ने प्रारंभिक परीक्षा में सफल उन उम्मीदवारों को बाहर करने का निर्देश दिया था जो संशोधित भर्ती नियमों के तहत योग्यता मानदंडों को पूरा नहीं करते थे।

    सुप्रीम कोर्ट, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रहा था। इस अपील में हाई कोर्ट ने 13 जून, 2024 को उसके ही खंडपीठ द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी थी। इस आदेश में हाई कोर्ट को निर्देश दिया गया था कि वह 14 जनवरी, 2024 को हुई प्रारंभिक परीक्षा में सफल उन सभी उम्मीदवारों को हटा दे या बाहर कर दे, जो संशोधित नियमों के तहत योग्यता मानदंडों को पूरा नहीं करते थे।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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