CJI की कोर्ट में आज से नहीं होगा ये काम, वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिए नोटिस जारी; जानिए पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा मामलों का उल्लेख करने पर रोक लगा दी है ताकि कनिष्ठ अधिवक्ताओं को अवसर मिल सके। 14 मई को शपथ लेने वाले प्रधान न्यायाधीश गवई ने वकीलों द्वारा तत्काल सूचीबद्ध और सुनवाई के लिए मामलों का मौखिक उल्लेख करने की प्रथा को फिर से शुरू कर दिया था।

पीटीआई, नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अदालत में सोमवार से किसी भी वरिष्ठ अधिवक्ता को तत्काल सूचीबद्ध एवं सुनवाई के लिए मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं होगी। शीर्ष अदालत ने इस संबंध में एक नोटिस जारी कर दिया है।
प्रधान न्यायाधीश ने छह अगस्त को कहा था कि 11 अगस्त से किसी भी वरिष्ठ अधिवक्ता को उनकी अदालत में तत्काल सूचीबद्ध एवं सुनवाई के लिए मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं होगी ताकि कनिष्ठ अधिवक्ताओं को ऐसा करने का अवसर मिल सके।
14 मई को शपथ लेने वाले प्रधान न्यायाधीश गवई ने वकीलों द्वारा तत्काल सूचीबद्ध और सुनवाई के लिए मामलों का मौखिक उल्लेख करने की प्रथा को फिर से शुरू कर दिया था। उनके पूर्ववर्ती जस्टिस संजीव खन्ना ने इस प्रथा को बंद कर दिया था और इसके बजाय वकीलों से ई-मेल या लिखित पत्र भेजने को कहा था।
'हमारा उद्देश्य न्याय प्रदान करना'
वहीं गुवाहाटी हाई कोर्ट की नवनिर्मित इटानगर स्थायी बेंच भवन का उद्घाटन करते हुए रविवार को सीजेआइ गवई ने कहा, 'न तो अदालतें, न न्यायपालिका और न ही विधायिका राजाओं, न्यायाधीशों या कार्यपालिका के सदस्यों के लिए अस्तित्व में हैं। हम सभी का उद्देश्य लोगों को न्याय प्रदान करना है।' गवई ने गौहाटी हाई कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीशों की सराहना की जिन्होंने न्याय को अधिक सुलभ बनाने के लिए कार्य किया।
अरुणाचल प्रदेश की विविधता में एकता की प्रशंसा करते हुए सीजेआई ने कहा कि राज्य में 26 प्रमुख जनजातियां और सौ से अधिक उप-जनजातियां हैं। सरकार ने प्रत्येक जनजाति की परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए हैं। देश को प्रगति करनी चाहिए लेकिन हमारी संस्कृति और परंपराओं की कीमत पर नहीं। यह हमारे संविधान के तहत एक मौलिक कर्तव्य है कि हम उन्हें संरक्षित और संजोएं।'
बीआर आंबेडकर का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा, 'बाबा साहेब भारत की एकता के कट्टर समर्थक थे। उन्होंने आश्वासन दिया कि हमारा संविधान भारत को शांति और युद्ध के समय में एकजुट और मजबूत रखेगा, जैसा कि हमने 75 वर्षों के बाद भी देखा है।' उन्होंने नागरिकों से संविधान को पढ़ने का आग्रह करते हुए कहा, 'हर धर्म का अपना धर्म ग्रंथ है, लेकिन हर भारतीय के लिए संविधान महान ग्रंथ है। हमारी पहली निष्ठा इससे होनी चाहिए।'
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