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    कोविड से मौत पर मुआवजे के मामले में केंद्र की अर्जी पर फैसला सुरक्षित, फर्जी दावों की जांच पर सुप्रीम कोर्ट 23 मार्च को देगा आदेश

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Mon, 21 Mar 2022 10:32 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट 23 मार्च को कोविड से मौत का मुआवजा लेने के लिए फर्जी दावों की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की मांग पर आदेश देगा। अदालत ने केंद्र सरकार की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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    कोविड डेथ के फर्जी दवों की जांच की मांग पर सुप्रीम कोर्ट 23 मार्च को फैसला सुनाएगा।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोविड से मौत का मुआवजा लेने के लिए फर्जी दावों की केंद्रीय एजेंसी से सैंपल जांच कराने और मुआवजा दावों के लिए समयसीमा तय करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट 23 मार्च को आदेश देगा। सोमवार को कोर्ट ने केंद्र सरकार की अर्जी पर बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र ने कहा कि मुआवजा दावा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की जाए।

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    इसके अलावा मुआवजे के फर्जी दावे आने की शिकायतों की जांच के लिए केंद्रीय एजेंसी को दावों की सैंपल स्क्रूटनिंग करने का आदेश दिया जाए। केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के समक्ष अर्जी में ये मांगें रखीं। हालांकि आंध्र प्रदेश और केरल के वकील आर. बसंत ने दावों की जांच केंद्रीय एजेंसी या पुलिस से कराए जाने का विरोध किया उन्होंने कहा कि सैंपल स्क्रूटनिंग होनी चाहिए, लेकिन यह काम लीगल सर्विस अथारिटी को करना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश पर अधिकारियों ने जल्दी-जल्दी काम किया है, हो सकता है कि कुछ गलतियां रह गई हों। इसके लिए उन सभी को पुलिस स्कैनर पर रखना ठीक नहीं होगा। मेहता ने कहा कि यहां गलतियों की बात नहीं है, फर्जी दावों की बात है। कोर्ट ने बसंत से कहा कि इस बारे में कोर्ट आदेश इसलिए देना चाहता है ताकि भविष्य में दोबारा ऐसा न हो। ऐसा करने से पहले व्यक्ति दो बार सोचे। मेहता ने कहा कि एनडीएमए एक्ट में मुआवजे और फर्जी दावों के बारे में गाइडलाइन है।

    याचिकाकर्ता वकील गौरव कुमार बंसल ने कहा कि एनडीएमए एक्ट की धारा-52 फर्जी दावे पर सजा का प्रविधान करती है। मेहता ने दावों की सैंपल जांच की बात करते हुए कहा कि तीन-चार राज्य ऐसे हैं जहां फर्जी दावों की ज्यादा शिकायतें हैं। ज्यादा शिकायतों वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और केरल शीर्ष पर हैं जहां पंजीकृत मौतों से ज्यादा दावे आए हैं। कोर्ट ने बहस सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया।

    दावे दाखिल करने के लिए चार हफ्ते पर्याप्त नहीं

    केंद्र की अर्जी में दावे के लिए चार सप्ताह का समय निर्धारित करने की मांग पर कोर्ट ने कहा कि चार सप्ताह दावा दाखिल करने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे क्योंकि जिसके घर मौत होती है, वह परिवार दुख और परेशानी में होता है। कोर्ट ने संकेत दिया कि जो लोग आज की तारीख में दावा दाखिल करने की पात्रता रखते हैं उन्हें 60 दिन और भविष्य में दावा दाखिल करने वालों को 90 दिन का वक्त दिया जा सकता है।