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    लॉटरी टिकटों की छपाई पर व्यापार कर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, टैक्स रखा बरकरार

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 03:55 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने 25 साल पुराने मामले में फैसला सुनाते हुए एक कंपनी द्वारा लॉटरी टिकटों की छपाई में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही और अन्य सामग्री पर व्यापार कर लगाने को सही ठहराया। जस्टिस जे.बी. पार्डीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि यह सामग्री उत्तर प्रदेश व्यापार कर अधिनियम 1948 की धारा 3एफ के तहत कार्य अनुबंध के अंतर्गत आती है।

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    लॉटरी टिकटों की छपाई पर व्यापार कर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 25 साल पुराने एक मामले में निर्णय देते हुए एक कंपनी के लाटरी टिकटों की छपाई में उपयोग की जाने वाली स्याही और अन्य सामग्री पर व्यापार कर लगाने को सही ठहराया।

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    जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि ये सामग्री उत्तर प्रदेश व्यापार कर अधिनियम, 1948 की धारा 3एफ के तहत कार्य अनुबंध के अंतर्गत आती हैं।गाजियाबाद स्थित प्रिंटिंग कंपनी मेसर्स एरिस्टो प्रिंटर्स प्राइवेट लि. ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ अपील की थी।

    हाई कोर्ट ने राजस्व विभाग की पुनरीक्षण याचिकाओं को स्वीकार करते हुए टैक्स की मांग को बहाल कर दिया था। कंपनी ने अपने ग्राहकों द्वारा दिए गए कागज का उपयोग कर लाटरी टिकटों की छपाई की और इसके लिए स्याही, रसायनों और अन्य सामग्री की खरीद की।

    2002 में करदाता के पक्ष में आया था फैसला

    व्यापार कर अधिकारी ने 28 अक्टूबर, 1999 को कंपनी के कर निर्धारण वर्ष 1996-97 और 1997-98 के दौरान उपयोग की गई सामग्री पर कर लगाया। उपायुक्त (अपील) ने स्याही और रसायनों पर कर हटा दिया, लेकिन पैकिंग सामग्री पर कर को बरकरार रखा।

    न्यायाधिकरण ने 2002 में करदाता के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में इसे पलट दिया। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखते हुए कहा कि कर लगाने के लिए तीन शर्तें पूरी होनी चाहिए।

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