Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ट्रिब्यूनल कानून पर केंद्र के रुख से सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम, 2021 को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी पीठ को भेजने की केंद्र की मांग पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि अंतिम सुनवाई के बाद सरकार से यह उम्मीद नहीं थी। 2021 के कानून में कई न्यायाधिकरणों को खत्म कर दिया गया था। कोर्ट ने सरकार के रुख पर सवाल उठाए और मामले की सुनवाई शुक्रवार को होगी।

    Hero Image

    सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई नाराजगी।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को न्यायाधिकरण सुधार (युक्तिकरण और सेवा शर्तें) अधिनियम, 2021, के प्रविधानों को चुनौती देनेवाली याचिकाओं की एक बड़ी पीठ को भेजने की मांग वाली केंद्र की अर्जी पर सख्त एतराज जताया। कोर्ट ने कहा कि मामले की अंतिम सुनवाई के बाद सरकार से इस तरह की अपेक्षा नहीं थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गौरतलब है कि 2021 के कानून में कई अपीलीय न्यायाधिकरणों को खत्म कर दिया गया था, जिसमें फिल्म प्रमाणन अपीलीय ट्रिब्यूनल भी शामिल है। साथ ही विभिन्न न्यायाधिकरणों के न्यायिक और अन्य सदस्यों की नियुक्ति और कार्यकाल से जुड़े नियमों में भी संशोधन किया गया था। अध्यादेश के स्तर पर ही सुप्रीम कोर्ट इसके कई प्रविधानों को खारिज कर चुका था। इसके बावजूद अधिनियम के विभिन्न प्रविधानों की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए तमाम याचिकाएं दाखिल की गई थीं।

    मामले पर पूरी हो चुकी है सुनवाई

    16 अक्टूबर को इस मामले की आखिरी सुनवाई पूरी हो चुकी है। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और के विनोद चंद्रन की पीठ मद्रास बार एसोसिएशन समेत तमाम याचिकाकर्ताओं की ओर से अंतिम दलीलें पहले ही सुन चुकी है। ऐसे मौके पर केंद्र सरकार चाहती है कि मामले की सुनवाई पांच सदस्यीय पीठ को सौंपी जाए।

    सुप्रीम कोर्ट में ऐसे चली बहस

    सीजेआई ने स्पष्ट तौर पर नाराजगी जताते हुए कहा: सुनवाई की पिछली तारीख पर आपने (अटार्नी जनरल) इन आपत्तियों को नहीं उठाया और अब आप निजी आधार पर स्थगन की मांग की थी। जब इस मामले की सुनवाई गुण-दोष पर आधार पर पूरी हो चुकी है तब आप इन आपत्तियों को नहीं उठा सकते हैं। हम केंद्र से इस तरह के हथकंडे की अपेक्षा नहीं करते। ऐसा लगता है कि सरकार मौजूदा पीठ से बचना चाहती है। यह तब हुआ है जब हमने एक पक्ष को पूरी तरह से सुना है और व्यक्तिगत आधार पर अटार्नी जनरल को भी इसमें शामिल किया है।

    अटार्नी जनरल ने इस धारणा को खारिज करने का प्रयास किया। सीजेआइ ने कहा: हम आपका बहुत सम्मान करते हैं। आप (एजी) कृपया वरिष्ठ वकील अरविंद दातार (विरोधी पक्ष के वकील) की दलील तक अपनी प्रतिक्रिया को सीमित रखें।

    अटार्नी जनरल आर वेंकटरमानी: कृपया केंद्र के आवेदन को गलत न समझें। यह अधिनियम उचित विचार-विमर्श के बाद पारित किया गया था.. हम बस यही कह रहे हैं कि इन मुद्दों के कारण इस अधिनियम को रद कर दिया जाना चाहिए। इसके लिए कुछ समय चाहिए।

    न्यायमूर्ति चंद्रन: इस मुद्दे को बड़ी बेंच के पास भेजने के लिए पहले नहीं उठाया गया और आखिरी दौर में ऐसा नहीं किया जा सकता है। इससे पहले की सुनवाइयों के दौरान किसी न किसी चरण में आपको ये आवेदन रखना चाहिए था। आपने स्थगन लिया क्योंकि आप फिर से दलील देने के लिए आना चाहते थे।

    पीठ: बहस के दौरान हमें लगता कि किसी बड़ी बेंच को रेफरेंस देने की जरूरत है, तो हम ऐसा करते, लेकिन अब हम ऐसा नहीं करेंगे।

    अटार्नी जनरल: सरकार ने नया कानून बनाया है, जिसे काम करने दिया जाना चाहिए ताकि इसके अनुभवों को देखा जा सके। प्रतीक्षा सूची से चयन के लिए योग्यता की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती। पूरे अधिनियम को रद करना उचित नहीं होगा। मामले की सुनवाई शुक्रवार को होगी।

    यह भी पढ़ें: 'छोड़ दें दिल्ली', बेहद खतरनाक हुई राजधानी की हवा; डॉक्टरों ने किया अलर्ट