छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पित माओवादियों का कैफे, सीएम साय को परोसी कॉफी
बस्तर में एक ऐतिहासिक पल आया जब आत्मसमर्पित माओवादियों ने 'पंडुम कैफे' खोला। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस कैफे का उद्घाटन किया और इसे बस्तर के सकारात्मक परिवर्तन का प्रतीक बताया। सरकार की पुनर्वास पहल के तहत शुरू किए गए इस कैफे का संचालन माओवादी करेंगे, जिन्होंने हिंसा का मार्ग छोड़कर समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का फैसला किया है। पिछले दो वर्षों में लगभग दो हजार माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है।

छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पित माओवादियों का कैफे।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पुलिस लाइन का वह शांत सा प्रांगण सोमवार सुबह ऐसे पल का साक्षी बना, जिसे बस्तर ने दशकों तक सिर्फ सपने में देखा था।
हाथ वही थे, जो कभी जंगलों की खामोशी में हथियार लेकर चलते थे, आंखें वही थीं, जिन्होंने डर, संशय और क्रूर संघर्ष की अनगिनत रातें देखी थीं। लेकिन, आज उन हाथों में बारूद नहींज् एक गर्म, सधी हुई मुस्कान और एक कप काफी थी।
जब नारायणपुर की फगनी, सुकमा की पुष्पा ठाकुर और बस्तर की आशमती ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को आत्मविश्वास और गर्व से भरे कदमों के साथ काफी के कप थमाए, तो यह क्षण किसी उद्घाटन समारोह से कहीं अधिक गहरा, भावनात्मक और बस्तर के भीतर पनप रहे नए जीवन का प्रतीक बन गया।
सरकार की पुनर्वास पहल से पंडुम कैफे शुरू
दरअसल, छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में सरकार की पुनर्वास पहल से पंडुम कैफे शुरू किया गया है। इसे आत्मसमर्पित माओवादियों द्वारा संचालित किया जाएगा। कैफे का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि पंडुम कैफे बस्तर के सकारात्मक परिवर्तन का प्रेरक प्रतीक है। संघर्ष की राह छोड़ चुके ये युवा अब समाज में सेवा और सम्मान के रास्ते बना रहे हैं।
दो हजार माओवादी समर्पण कर चुके हैं
बता दें कि दो वर्षों के दौरान करीब दो हजार माओवादी समर्पण कर चुके हैं। इनकी मुख्यधारा में वापसी के साथ ही सम्मानजन जीवन यापन के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है।

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