'तालिबान महिलाओं को इंसान नहीं मानता', लेडी पत्रकारों की 'नो-एंट्री' पर भड़कीं तसलीमा नसरीन
तसलीमा नसरीन ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी द्वारा दिल्ली में महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर रखने की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इसे महिलाओं को इंसान न मानने वाली तालिबानी सोच बताया और पुरुष पत्रकारों के विरोध न करने पर भी सवाल उठाया।
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मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर विवाद (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों के प्रवेश नहीं देने का फैसला तालिबानी सोच को दर्शाता है।
नसरीन ने कहा कि तालिबान महिलाओं को इंसान नहीं मानते, इसलिए उन्हें बुनियादी मानवाधिकार भी नहीं देते। उन्होंने पुरुष पत्रकारों की भी आलोचना की यह कहते हुए कि अगर उनमें थोड़ी इंसानियत होती तो वे प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर चले जाते।
नसरीन का अफगान मंत्री पर निशाना
नसरीन ने एक्स पर लिखा, "अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी भारत आए और प्रेस कॉन्फ्रेंस की, लेकिन किसी महिला पत्रकार को शामिल नहीं होने दिया गया। तालिबान के इस्लाम में महिलाओं को सिर्फ घर में रहना, बच्चे पैदा करना और पति की सेवा करना सिखाया जाता है।"
उन्होंने कहा कि यह सोच महिलाओं को स्कूल, ऑफिस या सार्वजनिक जगहों पर नहीं देखना चाहती। नसरीन के अनुसार, "एक ऐसा देश जो महिलाओं से नफरत पर खड़ा है, वह सभ्य नहीं बल्कि बर्बर राज्य है।"
विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि भारत सरकार का इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से कोई संबंध नहीं था। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस अफगान दूतावास में आयोजित की गई थी, जो मुत्ताकी और विदेश मंत्री एस जयशंकर की मुलाकात के बाद हुई। इसमें सिर्फ अफगान पक्ष ने मीडिया से बात की।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या बात हुई?
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुत्ताकी ने भारत-अभगानिस्तान संबंध, व्यापार, मानवीय सहायता और सुरक्षा सहयोग पर बात की। लेकिन इसमें कोई महिला पत्रकार शामिल नहीं थी। इस घटना पर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने भी नाराजगी जताई और कहा कि पुरुष पत्रकारों को अपनी महिा सहयोगियों के समर्थन में प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर निकल जाना चाहिए था।
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