Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तमिलनाडु के राज्यपाल ने लगवाया 'जय श्री राम' का नारा, कांग्रेस ने कहा- 'यह RSS की भाषा'

    Updated: Sun, 13 Apr 2025 08:13 PM (IST)

    राज्यपाल की आलोचना करते हुए कांग्रेस विधायक जेएमएच हसन मौलाना ने कहा कि उनकी टिप्पणी बेहद निंदनीय है। वह आरएसएस और भाजपा की भाषा बोल रहे हैं। वह एक संवैधानिक पद पर आसीन हैं इसलिए इस तरह की टिप्पणी उन्हें शोभा नहीं देती। राज्यपल रवि को पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई थी। भाकपा के राज्य सचिव आर. मुथरासन ने राष्ट्रपति से उन्हें पद से हटाने का आग्रह किया।

    Hero Image
    तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि (Photo - PTI)

    एएनआई, चेन्नई। मदुरै के थिरुप्परनकुन्द्रम में स्थित त्यागराजार इंजीनियरिंग कालेज के कंबन फेस्टिवल के दौरान छात्रों से 'जय श्री राम' का नारा लगाने के राज्यपाल आरएन रवि के आह्वान से एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कार्यक्रम में रवि मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्होंने अपने संबोधन के अंत में 'जय श्री राम' का नारा लगाया और छात्रों से भी ऐसा करने के लिए कहा। हाल ही में राज्यपाल को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य विधानमंडल द्वारा पारित 10 विधेयकों पर कार्रवाई न करने के लिए फटकार लगाई थी।

    हसन ने कहा, 'राज्यपाल देश के सर्वोच्च पदों में से एक पर आसीन हैं, लेकिन वह एक धार्मिक नेता की तरह बोल रहे हैं... वह आरएसएस और भाजपा के प्रचार मास्टर बन गए हैं। राज्यपाल इस तरह से काम नहीं कर सकते। वह तमिलनाडु में आरएसएस की विचारधारा का प्रसार कर रहे हैं। वह जिस पद पर हैं वह एक संवैधानिक पद है, इसलिए उन्हें तटस्थ रहना होगा।'

    10 विधेयकों पर नहीं की कार्रवाई

    कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्यपाल रवि को पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है। कोर्ट ने उनके खिलाफ ऐतिहासिक फैसला दिया है क्योंकि उन्होंने राज्य विधानमंडल द्वारा पारित 10 विधेयकों पर कार्रवाई न करके असंवैधानिक और मनमाने तरीके से काम किया है।

    पद से हटाने का आग्रह

    भाकपा के राज्य सचिव आर. मुथरासन ने संवैधानिक मानदंडों के उल्लंघन में काम करने और निर्वाचित राज्य सरकार के कामकाज में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए भारत के राष्ट्रपति और केंद्र सरकार से राज्यपाल रवि को पद से हटाने का आग्रह किया।

    भूमिका की संवैधानिक सीमाओं को स्पष्ट किया

    • उन्होंने आरोप लगाया कि वह ऐसे व्यक्ति की तरह व्यवहार कर रहे हैं जो खुद को न्यायपालिका और संविधान से ऊपर समझते हैं। मुथरासन ने राज्यपाल के इस कृत्य को तमिलनाडु की सांस्कृतिक और कलात्मक परंपराओं के विपरीत बताया।
    • उन्होंने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की ओर इशारा किया, जिसने राज्यपाल द्वारा की गई कई कार्रवाइयों को पलट दिया, जिसमें उनकी भूमिका की संवैधानिक सीमाओं को स्पष्ट किया गया।
    • मुथरासन ने कहा कि इसके बावजूद, राज्यपाल सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेना और विवादास्पद बयान देना जारी रखे हुए हैं।

    इस बीच, राज्यपाल ने अपने संबोधन के दौरान राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक सरकार के एक वरिष्ठ नेता द्वारा 'अश्लील और अपमानजनक' भाषा के इस्तेमाल की कड़ी निंदा की और इसे 'अस्वीकार्य और शर्मनाक' बताया।

    राज्यपाल ने कहा, हमने हाल ही में सत्तारूढ़ सरकार में उच्च पद पर बैठे एक व्यक्ति को महिलाओं के प्रति बेहद अश्लील, उपहासपूर्ण और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते देखा। ऐसा व्यवहार न केवल एक सार्वजनिक व्यक्ति के लिए अशोभनीय है, बल्कि पूरी तरह से अस्वीकार्य और शर्मनाक है। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है। उन्होंने न केवल महिलाओं को अपमानित किया है, बल्कि भगवान शिव और भगवान विष्णु के भक्तों पर अपमानजनक टिप्पणी भी की है।'

    द्रमुक ने हाल ही में राज्य के वन मंत्री के. पोनमुडी को महिलाओं और हिन्दू धर्म के खिलाफ अपमानजनक और अश्लील टिप्पणी करने के लिए उप महासचिव पद से हटा दिया था।