सीधे स्पेक्ट्रम आवंटन प्रस्ताव के खिलाफ दूरसंचार कंपनियां एकजुट, COAI ने सरकार को किया आगाह- देश की सुरक्षा के लिए खतरा
दूरसंचार क्षेत्र में स्पेक्ट्रम आवंटन का विवाद फिर से बढ़ गया है। निजी 5जी नेटवर्क और सैटेलाइट ब्रॉडबैंक सेवा देने वाली कंपनियों को सीधे स्पेक्ट्रम आवंटन के प्रस्ताव का दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियां विरोध कर रही हैं। रिलायंस जियो भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दूरसंचार क्षेत्र में स्पेक्ट्रम आवंटन का विवाद एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है। निजी 5जी नेटवर्क और सैटेलाइट ब्रॉडबैंक सेवा देने वाली कंपनियों को सीधे स्पेक्ट्रम आवंटन के प्रस्ताव के खिलाफ देश की दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों की तरफ के कड़ा विरोध होने लगा है।
रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के साथ ही सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआइ) ने भी इसके खिलाफ लामबंदी शुरू कर दी है। बगैर खुली निविदा व नीलामी प्रक्रिया के स्पेक्ट्रम आवंटन को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा, बाजार में प्रतिस्पद्धता को खत्म करने वाला और सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने वाला बताया जा रहा है।
'राष्ट्रीय सुरक्षा को हो सकता है खतरा'
सीओएआइ ने इस बारे में दूरसंचार विभाग (डॉट) को पत्र लिख कर कहा है कि सीधे स्पेक्ट्रम आवंटन से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इस तरह से जिन कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटित होंगे उन्हें नियामक दायित्वों से छूट हासिल हो सकती है। क्योंकि अभी इस तरह से स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियों के दायित्वों को लेकर नियम स्पष्ट नहीं है।
इन स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल की निगरानी करने को लेकर सरकार के दायित्व भी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में अगर गलत इस्तेमाल होता है तो सुरक्षा एजेंसियों के लिए जांच करने में भी परेशानी हो सकती है। सीओएआइ का कहना है कि यह व्यवस्था देश में साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने की सरकार की कोशिश की राह में भी अड़चन पैदा सकती है।
खरीदना पड़ा है स्पेक्ट्रम
इससे भी बड़ी बात यह कि इस तरह का स्पेक्ट्रम आवंटन निजी सेवा देने वाली कंपनियों को बगैर मजबूत सुरक्षा इंतजाम के राष्ट्रीय संपत्ति के आवंटन की एक गलत परंपरा शुरू कर सकती है। सनद रहे कि देश की मोबाइल सेवा देने वाली मौजूदा कंपनियों को भारी-भरकम राशि सरकार को दे कर स्पेक्ट्रम खरीदना पड़ा है।
कितना मिला था राजस्व?
वर्ष 2022 में केंद्र सरकार को स्पेक्ट्रम आवंटन से 1.5 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिला था। सीओएआइ के अलावा रिलायंस जियो और भारती एयरटेल की तरफ से भी इस बारे में आवाज उठाया गया है और मांग की गई है कि नीलामी के जरिए ही स्पेक्ट्रम आवंटन हो। इन कंपनियों ने टेलीकॉम टावर जैसे बुनियादी ढांचे में अरबों रुपये निवेश कर चुकी हैं। सरकार और दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के अंतिम फैसले पर सभी की नजरें टिकी हैं।
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