'अमेरिकी टैरिफ से देश को निपटना जरूरी', केंद्र सरकार ने कहा- अभी तात्कालिक प्रभाव सीमित
अमेरिकी टैरिफ को लेकर वित्त मंत्रालय ने बयान जारी किया है। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि इसका तात्कालिक प्रभाव भले ही सीमित हो सकता है लेकिन इसके द्वितीयक और तृतीयक प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां उत्पन्न कर सकते हैं जिनसे देश को निपटना जरूरी होगा। टैरिफ से अमेरिकी जीडीपी 40 से 50 आधार अंकों तक प्रभावित हो सकती है।

पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा भारी टैरिफ लगाने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने की आशंका जाहिर की गई है। वहीं अमेरिकी टैरिफ को लेकर वित्त मंत्रालय ने बयान जारी किया है।
वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि इसका तात्कालिक प्रभाव भले ही सीमित हो सकता है लेकिन इसके द्वितीयक और तृतीयक प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां उत्पन्न कर सकते हैं जिनसे देश को निपटना जरूरी होगा।
टैरिफ से प्रभावित हो सकती है भारतीय अर्थव्यवस्था
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे न केवल मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ेगा बल्कि विकास भी प्रभावित होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि नए टैरिफ से अमेरिकी जीडीपी 40 से 50 आधार अंकों तक प्रभावित हो सकती है।
मंत्रालय द्वारा जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि इन मुद्दों, जिनमें अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए उच्च टैरिफ के द्वितीयक और तृतीयक प्रभाव शामिल हैं, इसके समाधान के लिए भारत-अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ताएं महत्वपूर्ण हैं।
कपड़ा और आभूषण पर सबसे ज्यादा होगा असर
अमेरिका में प्रवेश करने वाले भारतीय वस्तुओं पर 27 अगस्त से लागू 50 प्रतिशत का भारी टैरिफ 48 अरब डॉलर से अधिक के निर्यात को प्रभावित करेगा। ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए उच्च आयात शुल्क का खामियाजा जिन क्षेत्रों को भुगतना पड़ेगा उनमें कपड़ा/परिधान, रत्न और आभूषण, झींगा, चमड़ा और जूते, पशु उत्पाद, रसायन, तथा विद्युत एवं यांत्रिक मशीनरी शामिल हैं।
भारत का सबसे बड़ा वस्त्र निर्यात गंतव्य है अमेरिका
अमेरिका ने जहां भारतीय वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है, वहीं चीनी निर्यात पर शुल्क 30 प्रतिशत, वियतनामी वस्तुओं पर 20 प्रतिशत, इंडोनेशियाई निर्यात पर 19 प्रतिशत और जापानी उत्पादों पर 15 प्रतिशत रखा है। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा वस्त्र निर्यात गंतव्य है।
चीन की हिस्सेदारी में गिरावट आई
पिछले पांच वर्षों में भारत ने इस क्षेत्र में लगातार अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई है जबकि चीन की हिस्सेदारी में गिरावट आई है। यह अमेरिकी सरप्लाई चेन में भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करता है।
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