CG News: 1.58 करोड़ के इनामी टीएससी सचिव चंद्रन्ना, एसजेडसी बंडी प्रकाश व डीवीसीएम कमलू ने किया समर्पण
ताज़ा खबरों के अनुसार, शीर्ष माओवादी नेता भूपति उर्फ सोनू और रुपेश समेत 292 माओवादियों के समर्पण से भाकपा (माओवादी) संगठन कमजोर हो गया है। तेलंगाना में, एक करोड़ के इनामी चंद्रन्ना और 50 लाख के इनामी बंडी प्रकाश ने भी आत्मसमर्पण कर दिया है। चंद्रन्ना और बंडी प्रकाश ने स्वास्थ्य और पारिवारिक कारणों का हवाला दिया है। संगठन में वैचारिक मतभेद और सैन्य दबाव के कारण इन नेताओं ने यह कदम उठाया है।
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टीएससी सचिव चंद्रन्ना, एसजेडसी बंडी प्रकाश व डीवीसीएम कमलू ने किया समर्पण (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शीर्ष माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य व वैचारिक संगठन केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो (सीआरबी) सचिव भूपति उर्फ सोनू व केंद्रीय समिति सदस्य (सीसीएम) रुपेश उर्फ सतीश उर्फ आसन्ना के समेत 292 माओवादियों के समर्पण के प्रभाव से भाकपा (माओवादी) संगठन को टूटने की कगार पर खड़ा कर दिया है।
दो दिन पहले प्रदेश के काकेर जिले में 21 माओवादियों के समर्पण के बाद अब तेलंगाना में माओवादी संगठन को एक और बड़ा झटका लगा है। संगठन के दो अत्यंत वरिष्ठ नेता केंद्रीय समिति सदस्य (सीसीएम) व तेलंगाना राज्य समिति (टीसीएस) सचिव एक करोड़ रुपये के इनामी पुल्लुरी प्रसाद राव उर्फ शंकरन्ना उर्फ चंद्रन्ना और 50 लाख के इनामी स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य (एसजेडसीएम) बंडी प्रकाश उर्फ प्रकाश उर्फ प्रभात ने मंगलवार को तेलंगाना पुलिस महानिदेशक की उपस्थिति में आत्मसमर्पण कर दिया। इधर छत्तीसगढ़ में भैरमगढ़ एरिया कमेटी का प्रभारी व आठ लाख का इनामी डीविजनल कमेटी सदस्य (डीवीसीएम) कमलू ने भी समर्पण्या कर दिया है।
इनमें चंद्रन्ना व बंडी प्रकाश ने चार दशक से अधिक समय तक भूमिगत जीवन बिताया और अब बिगड़ते स्वास्थ्य और पारिवारिक कारण बताकर मुख्यधारा में लौट आए हैं। विशेष बात यह है कि एक माह पहले जब भूपति उर्फ अभय ने समर्पण की अपील करते हुए सशस्त्र संघर्ष छोड़ने की अपील माओवादियों से की थी, तो तेलंगाना राज्य समिति ने प्रवक्ता जगन के नाम से पत्र जारी कर भूपति के पत्र को उनका व्यक्तिगत मत बताते हुए विरोध जताया था।
माओवाद के जानकारों का मानना है कि भूपति जैसे शीर्ष माओवादी नेता के समर्पण, माओवादी प्रमुख बसवा राजू के मारे जाने के बाद अब यह संगठन अब अंतिम सांसें गिन रहा है। यहीं कारण है कि दोनों वरिष्ठ नेताओं ने बढ़ते सैन्य दबाव, संगठन के भीतर गहराते वैचारिक और रणनीतिक मतभेदों, दंडकारण्य और तेलंगाना क्षेत्रीय समितियों में नेतृत्व स्तर पर लंबे समय से असहमति के कारण संगठन छोड़ने का निर्णय लिया। स्पष्ट है कि संगठन का पुराना ढांचा अब कमजोर पड़ रहा है और नई पीढ़ी के माओवादी नेता वैचारिक दिशा को लेकर भ्रम में हैं।
सरकारी स्कूल शिक्षक का बेटा बना शीर्ष माओवादी
64 वर्षीय पुल्लुरी प्रसाद राव उर्फ चंद्रन्ना, तेलंगाना के पेड्डापल्ली जिले के वडकापुर गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक और माता गृहिणी थीं। शिक्षा पूरी करने के बाद 1979 में वह रैडिकल स्टूडेंट्स यूनियन से जुड़ गया और 1980 में भाकपा (माले) पीपुल्स वार समूह का कार्यकर्ता बना।
इसके बाद वह शीर्ष माओवादी नेता किशनजी के लिए कूरियर का काम करने लगा। बाद में दंडकारण्य क्षेत्र में सक्रिय सशस्त्र दस्ते का हिस्सा बना और 1980 में पहली बार बीजापुर में गिरफ्तार हुआ। जेल से छूटने के बाद पार्टी में पुनः प्रवेश किया और 1981 से 2024 तक लगातार संगठन में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहा।
दलम कमांडर से लेकर डिवीजनल सचिव, राज्य समिति सदस्य और अंततः केंद्रीय समिति सदस्य (सीसीएम) बना। दंडकारण्य और उत्तर तेलंगाना विशेष क्षेत्रीय समिति (एनटी-एसजेडसी) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2008 में उसे केंद्रीय समिति सदस्य बनाया गया।
2015 में तेलंगाना राज्य के गठन के बाद वे राज्य समिति के मार्गदर्शक के रूप में सक्रिय रहा। दिसंबर 2024 तक उन्होंने तेलंगाना राज्य समिति सचिव का दायित्व भी संभाला। उसकी पत्नी, कुरसंगी मोथीबाई राधाक्का, भी संगठन की डिवीजनल समिति सदस्य रही हैं, जिसे 2013 में गिरफ्तार किया गया था। चंद्रन्ना ने हाल के वर्षों में स्वास्थ्य गिरने और पार्टी के भीतर वैचारिक मतभेद बढ़ने के कारण संगठन से अलग होने का निर्णय लिया।
बंडी ने बताया, आंतरिक मतभेदों के कारण छोड़ा संगठन
राज्य समिति सदस्य (एससीएम) बंदी प्रकाश उर्फ प्रभात उर्फ बीपी, मंचेरियल जिले के मंडमरी का रहने वाला है। उनके पिता सिंगरेनी कोलियरी में कार्यरत थे। प्रकाश ने 1983 में पढ़ाई छोड़कर रेडिकल यूथ लीग के माध्यम से आंदोलन में प्रवेश किया।
1984 में वह भाकपा (माले) पीपुल्स वार दलम में शामिल हुआ और बाद में वीटी अब्राहम हत्याकांड में गिरफ्तार होकर आजीवन कारावास की सजा पाई। 2004 में जेल से रिहा होने के बाद वे पुनः संगठन से जुड़ गए और संभागीय समिति सदस्य से लेकर राज्य समिति सदस्य के पद तक पहुंचा।
माओवादी पत्रिका 'प्रजाविमुक्ति' पत्रिका के संपादक और सिंगरेनी कोल बेल्ट समिति के प्रभारी के रूप में कार्य किया। हाल के वर्षों में स्वास्थ्य समस्याओं और आंतरिक मतभेदों के कारण उसने भी मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। उसकी पत्नी हेमदुर्गा ने 2005 में आत्मसमर्पण कर दिया था और उनका बेटा किरण वर्तमान में एक समर्थक संगठन में सक्रिय है। प्रभात ने अपने समर्पण को परिवार और समाज के लिए नया जीवन शुरू करने का निर्णय बताया है।

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