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    कोल्ड्रिफ कफ सीरप से बच्चों की मौत, राज्य सूची हवाला देकर मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 11:30 PM (IST)

    मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का रवैया सवालों के घेरे में है। मंत्रालय ने पहले एडवाइजरी जारी की और बाद में राज्यों को जांच का सुझाव दिया। मंत्रालय ने शुरुआत में दवाओं को क्लीन चिट दी, लेकिन बाद में कोल्ड्रिफ में जहरीला रसायन मिलने की पुष्टि हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि मंत्रालय अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता, क्योंकि दवाओं की निगरानी की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है।

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    कफ सीरप से बच्चों की मौत पर स्वास्थ्य मंत्रालय का रवैया हैरान करने वाला

    नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश और राजस्थान में जहरीले कफ सीरप से 19 बच्चों की मौत पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का रवैया हैरान करने वाला है। कफ सीरप से मौत की बात सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले तो बच्चों को कफ सीरप देने में सावधानी बरतने को लेकर एडवाइजरी जारी कर निश्चित हो गया।

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    बाद में जब तमिलनाडु की जांच रिपोर्ट में कोल्ड्रिफ ब्रांड के कफ सीरप में जहरीला रसायन मिलने की पुष्टि होने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने ऑनलाइन बैठक कर राज्यों को दवाइयों की जांच और निगरानी बढ़ाने का सुझाव दिया।

    मामले पर पल्ला झाड़ने की कोशिश

    मंत्रालय के अधिकारी स्वास्थ्य को राज्य सूची का विषय होने का हवाला देकर पूरे मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। जहरीले कफ सीरप से बच्चों की मौत पर स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से पहला बयान शुक्रवार को जारी किया गया। जिसमें बताया गया कि नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी), नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (एनआइवी) और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) के विशेषज्ञों ने प्रभावित इलाकों का दौरा कर कई ड्रग्स के सैंपल लिए।

    कोल्ड्रिफ में डीईजी मिलने से हड़कंप

    मंत्रालय ने दावा किया कि दवाओं के सैंपल की जांच में किसी में डायथीलिन ग्लाइकाल (डीईजी) नहीं मिला। यानी सभी कफ सीरप को क्लीन चिट दे दी। उसी दिन शाम को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों को कफ सीरप देने के लिए एडवाइजरी जारी कर दी। अगले दिन शनिवार को तमिलनाडु की जांच में कोल्ड्रिफ में डीईजी मिलने की पुष्टि होने के बाद मंत्रालय में हड़कंप मच गया।

    आनन-फानन में एक प्रेस नोट जारी किया गया, जिसमें फिर दावा किया गया कि मध्यप्रदेश से सीडीएससीओ द्वारा लिये गए कफ सीरप के छह सैंपल में डीईजी नहीं मिला और मध्यप्रदेश के ड्रग कंट्रोलर द्वारा लिए गए 13 सैंपल में से तीन की रिपोर्ट आई है, जिनमें डीईजी नहीं है।

    कोल्ड्रिफ बनाने की कंपनी का लाइसेंस रद्द करने का निर्देश

    मंत्रालय का कहना था कि सिर्फ कोल्ड्रिफ में डीईजी मिलने बनाने वाली इकाई से लिए गए सैंपल में ही डीइजी मिला है। मंत्रालय ने दावा किया कि जिन 19 सीरप के सैंपल लिये गए हैं, उनकी निर्माण इकाइयों की जांच शुक्रवार से ही की जा रही है। इसके बाद ही रविवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ स्वास्थ्य सचिव की आनलाइन बैठक की गई। बुधवार को मंत्रालय ने बताया कि सीडीएससीओ ने कोल्ड्रिफ बनाने की कंपनी का लाइसेंस रद्द करने का निर्देश तमिलनाडु के ड्रग नियामक को दे दिया है।

    सीडीएससीओ केंद्र सरकार के अधीन

    कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय में रहते हुए अहम भूमिका निभाने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ किया कि स्वास्थ्य को राज्यों का विषय कहकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकता है। उनके अनुसार दवाओं की गुणवत्ता की निगरानी की नियामक एजेंसी सीडीएससीओ केंद्र सरकार के अधीन है। नियामक एजेंसी की जिम्मेदारी राज्यों के साथ मिलकर गुणवत्ता बनाए रखने की होती है।

    इसी अधिकार के तहत सीडीएससीओ पूरे देश से दवाओं के सैंपल लेकर जांच करता है और राज्यों के ड्रग नियामकों की जांच की भी निगरानी करता है। उन्होंने कहा कि जहरीले कफ सीरप से बच्चों की मौत दवाओं पर निगरानी के पूरे तंत्र की विफलता है, जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और उसके अधीन आने वाली नियामक एजेंसियां भी शामिल हैं।